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पुलिस थानों और चौकियों में सीसीटीवी कैमरे न लगाने पर हाई कोर्ट ने अपनाया कड़ा रुख

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हाईकोर्ट ने पुलिस थानों और चौकियों में सीसीटीवी कैमरे न लगाने पर कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने मुख्य सचिव सहित प्रधान सचिव (गृह) से जवाब तलब किया है। राज्य स्तरीय निरीक्षण समिति, जिला स्तरीय निरीक्षण समिति और पुलिस अधीक्षक शिमला को भी नोटिस जारी किया गया है। मामले पर सुनवाई 21 मार्च को निर्धारित की गई है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश विरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने पर यह आदेश पारित किए। पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार हर पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरे लगाने में विफल रही है। दलील दी है कि परमवीर सिंह सैनी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को हर थाने में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया है। लेकिन राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को लागू करने में विफल रही है।

अदालत के समक्ष दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट ने हिरासत में होने वाली मौतों की बढ़ती दर और मानवाधिकारों के उल्लंघन के कारण ये निर्देश दिए है। शीर्ष अदालत के निर्णय के अनुसार राज्य के प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय निगरानी समिति को हर पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरे स्थापित करने का जिम्मा दिया गया है। इसी तरह मंडल आयुक्त की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय निगरानी समिति को गठित करने के आदेश भी दिए गए है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार प्रत्येक पुलिस स्टेशन में सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं, पुलिस स्टेशन के मुख्य द्वार, सभी लॉक-अप, सभी गलियारों, लॉबी/रिसेप्शन एरिया में कैमरे लगाए जाने जरूरी हैं। सभी बरामदे/आउटहाउस, इंस्पेक्टर का कमरा, सब इंस्पेक्टर का कमरा, लॉक-अप रूम के बाहर का क्षेत्र, स्टेशन हॉल, पुलिस स्टेशन परिसर के सामने, वॉशरूम/शौचालय के बाहर और पुलिस स्टेशन के पीछे का हिस्सा भी सी सी टी वी कैमरे की निगरानी में आने के आदेश दिए गए है।

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