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10वीं कक्षा के नतीजों में प्रदेशभर में 10वें स्थान पर रही श्रेया कंवर ने अपनी सफलता की कहानी खुद लिखी

10वीं कक्षा के नतीजों

कुछ करने की इच्छा हो तो सुविधाओं की दरकार आड़े नहीं आती है। मंजिल की चाह में मनुष्य अपने मुकाम पर पहुंच ही जाती है। कुछ ऐसा ही कर दिया है सिरमौर की श्रेया ने। स्कूल शिक्षा बोर्ड के 10वीं कक्षा के नतीजों में प्रदेशभर में 10वें स्थान पर रही श्रेया कंवर ने अपनी सफलता की कहानी खुद लिखी। श्रेया ने कहा कि मुझे पता था कि स्कूल में सुविधाओं का अभाव है। शिक्षकों की भी कमी है। मगर मन में कुछ करने का सपना था और गांव में रहकर ही इसे पूरा करना था। उन्होंने कहा कि उन्होंने शहर की ओर रुख नहीं किया और यही शिक्षकों की कमी के बावजूद अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करने की ठानी।

गणित विषय को पढ़ाने के लिए एक अस्थायी शिक्षक रखा गया, जिसका खर्च बच्चों से एकत्रित किया जाता था। कमियों को उन्होंने अपनी ढाल बनाया और सफलता पाई। श्रेया स्कूल में कभी अनुपस्थित नहीं रही। जुड़वां बहन के 648 अंक श्रेया की जुड़वां बहन श्रुति कंवर ने भी 648 अंक (92.57) लेकर स्कूल में तीसरा जबकि, स्नेहा ने 661 अंक कर दूसरा स्थान हासिल किया। कार्यवाहक प्रधानाचार्य सुनपा देवी और टीजीटी मेडिकल अरुण कुमार ने बताया कि ये सफलता ऐतिहासिक है। ऐसा है स्कूल का हाल, पिता भी शिक्षक सिरमौर की नौहराधार तहसील का सरकारी स्कूल घंडूरी काफी दुर्गम है। इस स्कूल में अरसे से प्रधानाचार्य का पद खाली है। नॉन मेडिकल समेत एलटी और ड्राइंग मास्टर का पद भी नहीं भरा गया है। इस स्कूल में एक टीजीटी मेडिकल, दो टीजीटी आटर्स, एक शास्त्री और एक पीटीआई तैनात है। इस सफलता के पीछे इन्हीं अध्यापकों का हाथ है, जिन्होंने होनहार छात्रा को पहचाना और खुद भी मेहनत की। बता दें कि श्रेया कंवर के पिता संजय कुमार यहीं एक निजी स्कूल में शिक्षक हैं, जबकि माता निशा कंवर आशा वर्कर हैं।

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