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वाटर सेस से हिमाचल की आमदनी बढ़ाने पर फंसा पेच

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वाटर सेस से हिमाचल

वाटर सेस (जल उपकर) से हिमाचल की आमदनी बढ़ाने पर पेच फंस गया है। हिमाचल प्रदेश सरकार वाटर सेस लगाने के कानून को बनाने के बाद इसके विस्तृत नियम तैयार करने की दिशा में गंभीर चिंतन कर रही है। पंजाब और हरियाणा की ओर से वाटर सेस नहीं लगाने का मामला उठाने के बाद अब राज्य की नौकरशाही इस संबंध में मंथन कर रही है। सरकार की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में भी वाटर सेस लगाया गया है। हालांकि, मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को यह बात स्पष्ट कर चुके हैं कि पानी पर कोई सेस नहीं लगाया जा रहा है। इसे बिजली परियोजनाओं पर लगाया जा रहा है। इसके बावजूद बिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाए जाने के मुद्दे से भी पड़ोसी राज्य संतुष्ट नहीं हैं।

राज्य सरकार तर्क दे रही है कि जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में बिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने के बाद ही हिमाचल प्रदेश में इसे लगाने का विचार किया जा रहा है। यह उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने हाल ही में बजट सत्र के दौरान हिमाचल की आमदनी बढ़ाने की बात कर वाटर सेस लगाने पर काम शुरू किया है। कितना लगेगा सेस, इस पर हुआ मंथन सोमवार को हिमाचल प्रदेश सचिवालय में सचिव ऊर्जा राजीव शर्मा की अध्यक्षता में भी वाटर सेस मामले में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में हिमाचल प्रदेश की बिजली परियोजनाओं पर लगाए जाने वाले सेस के बारे में चर्चा की गई। बिजली बोर्ड और राज्य सरकार के अन्य उपक्रमों को कितना सेस परियोजना पर देना पड़ सकता है, इस बारे में गंभीर मंथन हुआ है। मुख्य सचिव ने 6 मई को बुलाई बैठक मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने 6 मई को बिजली परियोजनाओं से जुड़े हुए तमाम मुद्दों पर एक बैठक बुलाई है। इस बैठक में वाटर सेस लगाने के मुद्दे पर भी चर्चा संभावित है। राज्य सरकार को वाटर सेस के नियमों को व्यावहारिक बनाना होगा, जिससे भविष्य में इसे लागू करने की दिशा में परेशानी न हो।

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