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पर्वतारोहण से जुड़ने लगे युवा, प्रशांत ने चढ़ी लाहौल की चोटी

पर्वतारोहण

धर्मशाला: पहाड़ों में रहने वाले युवा और इन पहाड़ों के रास्तों को दिनचर्या में लांघने वाले युवा अव पर्वतारोहण के क्षेत्र में भी आगे आ रहे हैं। रशिया एलब्रुस और दक्षिण अफ्रीका की किलीमंजारों पर्वत चोटी को भारतीय व हिमाचली परिधानों में चढ़ चुकी धर्मशाला की अंजलि ने सिमित संसाधनों से सफर जारी रखा है,  तो वहीं अब कांगड़ा जिला के देहरा गोपीपुर के प्रशांत सिंह ने 5 घंटे में 6000 मीटर की चोटी फतह कर इतिहास बनाया है। देहरा उपमंडल के बंगोली गांव के युवक प्रशांत सिंह पुत्र नरदेव सिंह ने लाहौल स्पीति की माउंट कनामो चोटी को मात्र 5 घंटे में फतेह कर एक नया इतिहास बनाया है।

प्रशांत सिंह ने बताया कि बचपन से ही उसकी रुचि पर्वतारोहण और अन्य साहसिक खेलों में रही है और यही कारण रहा कि उन्होंने मनाली स्थित अटल बिहारी वाजपेई माउंट ट्रेनिंग एंड एलाइंड में खींच लाया, जहां से उन्होंने 28 दिन विशेष एडवांस्ड माउंट ट्रेनिंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया।

इस सूची में पर्वतारोहण, पैराग्लाइडिंग, रीवर राफ्टिंग स्कींग व डिजास्टर मैनेजमेंट का प्रशिक्षण शामिल था। उनका मानना है की साहसिक खेलों से जुड़कर हम अपना भविष्य बनाने के साथ-साथ इस प्रकृति के संरक्षण में अपना योगदान प्रदान कर सकते हैं उन्होंने युवाओं से आग्रह किया है कि स्वस्थ रखें तथा अन्य युवाओं को भी एडवेंचर में अपना भविष्य बनाने के लिए प्रेरित करें।

हौंसले की भरमार, सरकार की मदद की दरकार

भले ही हिमाचल का एक और बेटा पर्वतारोहण की राह को चुन अपना सफर शुरू कर चुका है लेकिन महंगे तथा बेहद जोखिम से भरे इन साहिसक खेलों को लेकर साकार की उदासीनता किसी से छिपी है। लिहाजा सरकार इस बारे में मदद करे तो ही साहसिक खेलों में एक प्रकाशमान भविष्य की राह हिमाचल तथा भारत तलाश सकता है। बताते चलें कि हिमाचल की विधानसभा में भले ही युवा चेहरों की कमी न हो लेकिन सवाल ये है कि युवाओं ने युवाओं के लिए आखिर क्या जिसे सकारात्मक और युवा पहल माना जाए।

 

 

 

 

 

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