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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: दर्द सहा पर हिम्मत नहीं छोड़ी, कैंसर सर्वाइवर महिला ऑफिसर के जज्बे को सलाम

शिल्पी बेक्टा, एसडीएम धर्मशाला
दर्द सहा पर हिम्मत नहीं छोड़ी
नारी ही शक्ति है नर की,
नारी ही है शोभा घर की,
जो उसे उचित सम्मान मिले,
तो घर में खुशियों के फूल खिले।
नारी तू नारायणी नारी के जज्बे को सलाम
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हम आपको ऐसी महिला से रूबरू करवाएंगे जिनकी हिम्मत और जज्बे को आप भी सलाम करेंगे।
दर्द सहा पर हिम्मत नहीं छोड़ी, पीएचडी और बैंक की नौकरी छोड़ बनी एच एस ऑफिसर
ये हिम्मत भरी कहानी है धर्मशाला की एसडीएम शिल्पी बेक्टा की। 
आइए जानते हैं किस तरह उन्होंने कैंसर से जंग लड़ी और महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा।।

कैंसर जैसी नामुराद बीमीरी से लड़ी-भिड़ी ओर जीती। पहली कीमोथेरेपी के बाद सिर पर एक बाल और अपनी शक्ल देखकर यह डरी नहीं। उसी को हथियार बना लिया जीने का। आज लाखों कैंसर पीड़ितों के लिए यह रोल मॉडल हैं। हिमाचल की यह बेटी धर्मशाला जैसी प्रदेश की दूसरी राजधानी की सर्वे सर्वा हैं।एक समय था जब जिंदगी से जंग लड़नी पड़ गयी। कैंसर का नाम सुनते ही अच्छे अच्छों के होश उड़ जाते हैं पर इनका दिल घबराया नहीं , बल्कि उससे लड़ने को खुद को तैयार किया।

घंटों योगा ओर एक्सरसाइज की तब जाकर इस मुकाम तक पहुंची। इनके दरवाजे हर फरियादी-जरूरतमंद के लिए दिन रात खुले रहते हैं। इनका मानना है कि दूसरी जिंदगी भगवान ने इन्हें जनसेवा के लिए दी है इसलिए आराम को कोई जगह नहीं है। कैंसर से डरें नहीं। उससे लड़ें ओर जीतें। लाखों प्रदेश वासियों की दुआएं ओर देवी-देवताओं का आशीर्वाद लिए शिल्पी अपने हुनर से लोगों के दुख दर्द पर मलहम लगा रही है। ऐसे काबिल ऑफिसर्स को सेल्यूट ।

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