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जल विद्युत की 172 परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने को लेकर हरियाणा और हिमाचल सरकार में तनातनी बढ़ी

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जल विद्युत की 172

जल विद्युत की 172 परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने को लेकर हरियाणा और हिमाचल सरकार में तनातनी बढ़ गई है। हरियाणा के आग्रह पर केंद्र के दखल के बावजूद हिमाचल सरकार ने अपने तेवर कड़े कर लिए हैं। सुक्खू सरकार ने साफ कर दिया है कि जल विद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस लग कर रहेगा। हालांकि, हिमाचल सरकार ने बीच का विकल्प निकालते हुए सेस को लेकर बातचीत का विकल्प भी रखा है, जिसे संवाद के माध्यम से कुछ कम किया जा सकता है, लेकिन हरियाणा सरकार ने वाटर सेस को किसी भी सूरत में स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया है। दोनों सरकारें सेस को लेकर आमने-सामने आ गई हैं। दोनों प्रदेशों ने भविष्य में वार्ता का विकल्प खुला रखा है।

हिमाचल सरकार ने इसी साल मार्च में जल विद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने का फैसला लिया था। बकायदा, इसके लिए एक्ट बनाया गया है और अधिसूचना जारी की गई। हरियाणा सरकार ने भी विधानसभा में इसके विरोध में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया है। 22 अप्रैल को तमाम मुद्दों को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के बीच बातचीत हुई थी, लेकिन वाटर सेस को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई थी। अब हिमाचल सरकार ने साफ किया है कि राज्य में जल विद्युत परियोजनाओं पर हर सूरत में वाटर सेस लगाया जाएगा। इसके लिए जल्द संंबंधित कंपनियों के साथ बातचीत का प्रस्ताव रखा गया है।

रेट का मुद्दा सुलझाना होगा सूत्रों के अनुसार, हिमाचल सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि हरियाणा सरकार जिन कंपनियों से बिजली खरीदती है, उसे उनके साथ ही रेट को लेकर मुद्दा सुलझाना होगा। प्रदेश सरकार उसमें उनकी इतनी मदद कर सकती है कि बातचीत के जरिये नए रेट को कम कराया जा सके। पहले 336 करोड़, अब हो सकता है 150 करोड़ पहले के प्रस्ताव के मुताबिक अगर सेस लगता है तो प्रत्येक यूनिट पर एक रुपये से अधिक खर्च आना था और सालाना हरियाणा पर 336 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ना था। बातचीत के विकल्प के तौर पर अब इसे 50 पैसे प्रति यूनिट करनी की योजना है। इससे हरियाणा पर करीब 150 करोड़ रुपये का भार पड़ेगा।

निजी क्षेत्र के मुकाबले काफी सस्ती मिलती है बिजली वर्तमान में हरियाणा को कुल 1325 मेगावाट बिजली हिमाचल के हाइड्रो प्लांट से मिलती है। इसमें से 846 मेगावाट बिजली बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड) के माध्यम से, 64 मेगावाट नाथपा झाकड़ी और एनएचपीसी के माध्यम से 415 मेगावाट बिजली मिलती है। वर्तमान में 59 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है। नाथपा झाकड़ी से मिलने वाली बिजली की दर 2.36 रुपये प्रति यूनिट है। एनएचपीसी से मिलने वाली बिजली 2 से 2.5 रुपये प्रति यूनिट तक है। निजी क्षेत्र में बिजली के रेट 5 से 7 रुपये प्रति यूनिट है। ज्वलंत मुद्दों पर राज्य सरकारों में संवाद जरूरी : कुलदीप पठानिया वीरवार को चंडीगढ़ में पहुंचे हिमाचल प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि ज्वलंत मुद्दों पर राज्य सरकारों में संवाद जरूरी है। जब राज्य सरकारें आमने-सामने बैठ कर वार्ता करेंगी तो सुलह भी जरूर बनेगी। किसी मुद्दे पर आम सहमति के लिए बातचीत जरूरी है। बातचीत से ही मतभेद दूर होंगे और समस्या का समाधान निकलेगा।

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