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धर्मशाला के मौसम की तरह अन्प्रिडिक्टेबल हैं सुधीर शर्मा

धर्मशाला का मौसम निश्चित तौर पर अप्रिडिक्टेबल है। मतलब पल में धूप तो पल में बारिश। इस मौसम ने यहां की सियासत पर गहरा असर डाला है। सबसे ज्यादा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुधीर शर्मा पर। मौसम की तरह उनकी सियासत का भी कोई पूर्वानुमान नहीं लगा सकता।
बैजनाथ में साल 2003 और 2007 में विधायक बनने वाले सुधीर शर्मा की धर्मशाला में जोरदार एंट्री हुई। कांग्रेस का टिकट मिला तो यकायक ही हलका बदल दिया। ये मसला फौरन सैटल भी हो गया लेकिन सुधीर चर्चा में आ गए। अच्छे अंतर से जीत भी गए। मुस्कुरा मुस्कुरा कर 15 दिन में धर्मशाला के स्थापित नेताओं का खेल बदल दिया। मंत्री बने। खूब काम भी किए, लेकिन चुनावी वर्ष तक आते-आते उनका सियासी मौसम पूरी तरह चेंज हो गया। नतीजा ये कि जीती हुई लग रही बाजी को सामने सामने हार गए। हार का विश्लेषण होता रहा और सुधीर बेचर्चा हो गए।

एकदम चर्चा में आए 2019 के लोकसभा चुनाव में सियासी हलकों में यह तय मान लिया गया कि सुधीर ही कांगड़ा लोकसभा सीट से लड़ेंगे। खूब नाम उछला। दिल्ली में खेल चलता रहा और एक दिन खबर आई कि पवन काजल को कांग्रेस का टिकट मिल गया है। सुधीर बड़े आराम से गेम से बाहर हो गये । किशन कपूर सांसद बने तो धर्मशाला विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना था। कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था कि सुधीर शर्मा ये उपचुनाव नहीं लड़ेंगे। अजीब लगता था कि 2 बार धर्मशाला से चुनाव लड़ने वाले उपचुनाव में साइड में बैठ जाएंगे। सुधीर शर्मा के समर्थक तब कहते थे कि सुधीर शर्मा के पास उपचुनाव में लड़ने के अलावा कोई रास्ता भी नहीं है। लेकिन उन्होंने लड़ने नहीं किनारे बैठने का रास्ता निकाल ही लिया। चूंकि मुकाबला सत्तासीन भाजपा से होना था और प्रत्याशी भी दमदार चाहिए था। लेकिन हां हां, न-न करते यहां भी खबर आई कि सुधीर शर्मा चुनावी पिक्चर से गायब हो गए हैं। टिकट किसी ओर को देना पड़ा । 

सुधीर शर्मा ने उस उपचुनाव में पार्टी के लिए क्या किया ये पार्टी ही बेहतर बता सकती है। कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई। मजे की बात यह रही कि पार्टी ने इस शर्मनाक हार पर कहीं कोई कार्रवाई नहीं की। सभी ने कहा कि हाईकमान में सुधीर शर्मा का जलवा है , अब अब 2022 के चुनाव सिर पर है । इस बिच सुधीर कुछ हि कार्यक्रमों में दिखे , उसके बाद फिर चर्चा से बाहर हो गए। अब यकायक ही दिग्गज भाजपाई खीमी राम शर्मा को कांग्रेस में करवाने की फोटो में नजर आए। भाजपा का पूर्व अध्या कांग्रेस में आ रहा हो और कांग्रेस के अध्यक्ष व कार्यकारी अध्यक्षों की भीड़ में से एक भी वहां नहीं। अकेले सुधीर शर्मा । ये फिर सभी के लिए सरप्राइज था। खास तौर पर कांग्रेस के लिए ।
मतलब सुधीर शर्मा के सारे मूव अन्प्रिडिक्टेबल होते हैं। अब कौन सा नया प्लान लेकर आते हैं। ये देखने की बात होगी। हां इन सब के बीच में धर्मशाला सीट पर कांग्रेस किस गति को प्राप्त हो रही है, यह अलग चर्चा का विषय है।

बड़ी हैरानी की बात है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव पद पर तैनात सुधीर शर्मा की पिछले दिनों भाजपा या आप में जाने की चर्चाएं बड़ी गॉसिप रही, सुधीर शर्मा ने मुस्कुराते हुए कहा कि अब चर्चा करने से किसी को कौन रोक सकता है। मैं हमेशा से कांग्रेस में हूं और कांग्रेसी ही रहूंगा। अपने हलके धर्मशाला पर फोकस करूंगा। भाजपा के लिए सुधीर शर्मा ने कहा कि इन्हें जनता सबक देने वाली है। भाजपाइयों के बारे में कुछ ज्यादा नहीं कहूंगा। आम आदमी पार्टी पर उन्होंने कहा कि पंजाब और दिल्ली में इनकी नाकामी जनता देख चुकी है। हिमाचल में इनकी हालत खराब होने वाली है। वहीं अपनी ही पार्टी में विरोध करने वालों पर उन्होंने कहा कि ये नाराजगी दूध के झाग जैसी है। समय के साथ सब ठीक हो जाएगा।

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