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इस गांव में प्‍याज के लिए बन रहा पहला सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस, ये होगा फायदा

चंडीगढ़. भारत में कृषि और बल्कि कृषि उत्‍पादों की उन्‍नत किस्‍म के साथ ही पैदा बढ़ाने को लेकर विदेशी तकनीकों को प्रमुखता से लिया जा रहा है. इसके साथ ही यहां के किसानों को पारंपरिक खेती और फसलों के विकल्‍प मुहैया कराने के लिए भी केंद्र और राज्‍य सरकारें लगातार कोशिश कर रही हैं. इसी को लेकर अब पंजाब के संगरूर जिले के गांव में प्याज के लिए अपनी किस्म का पहला सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्‍थापित किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार द्वारा संगरूर जिले के गांव खेड़ी में प्याज के लिए बनाया जा रहा अत्याधुनिक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस पंजाब में इंडो-डच्च समझौते के तहत बनाया जा रहा है. यह प्‍याज का पहला लेकिन पंजाब का तीसरा तीसरा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस होगा. पंजाब के बागवानी मंत्री फौजा सिंह ने कहा कि इस सेंटर का उद्देश्य न केवल पंजाब के किसानों को प्याज की कृषि में नवीनतम तकनीकें और वैज्ञानिक खोजों से अवगत करवाना है बल्कि दो-फसलीय प्रणाली, जिसके नतीजे के तौर पर पानी का स्तर घटता जा रहा है, के पारंपरिक चक्र से भी बाहर निकालना है.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और पर्यावरण को बचाने के लिए लगातार प्रयास जारी रखने के साथ-साथ नई फसलों और नवीनतम तकनीकों के द्वारा किसानों की आमदन में वृद्धि करने पर ध्यान केन्द्रित कर रही है. अधिक जानकारी देते हुए मंत्री ने कहा कि यह सेंटर डच तकनीक का प्रयोग करके प्याज के उत्पादन को 22 टन से बढ़ाकर 40 टन प्रति हेक्टेयर करने और डच की नवीनतम स्टोरेज तकनीक का प्रयोग करके कटाई के बाद के नुकसान को 30 फीसदी तक घटाएगा.
यह सेंटर 10 करोड़ रुपए की लागत के साथ बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत स्थापित किया जाएगा. इस सेंटर में प्याज की नर्सरी के लिए उद्यम बनाए जाएंगे. उन्होंने आगे कहा कि इस सेंटर का लाभ गांवों में दिया जाएगा. मौजूदा समय में पंजाब द्वारा प्याज की 25 प्रतिशत जरूरत को पूरा किया जा रहा है और इस सेंटर की स्थापना होने से 3 सालों में प्याज की कृषि अधीन क्षेत्रफल बढक़र 60000 एकड़ हो जाएगा. मौजूदा समय में 25000 एकड़ क्षेत्रफल में प्याज की कृषि की जा रही है.
बता दें कि कि पंजाब के दो इंडो-डच केन्द्रों में धोग्री, जालंधर में स्थापित आलू के लिए सैंटर ऑफ एक्सीलेंस शामिल है, जिसमें आलू के बीज के बहुत ही शुद्ध रूप का उत्पादन किया जा रहा है. जबकि दोराहा, लुधियाना में फूलों की कृषि सम्बन्धी एक और सेंटर स्थापित किया जा रहा है, जो बीज उत्पादन तकनीक को प्रोत्साहित करेगा. इसके अलावा पंजाब में दो इंडो-इजऱाइल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भी हैं, जिनमें जालंधर के करतारपुर में सब्जियां और होशियारपुर के खनौरा में फलों (खट्टे फल) सम्बन्धी सेंटर शामिल हैं.

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