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फोरलेन-अंधाधुंध निर्माण ने तबाह किया हिमालय;  ऐसा क्यूं बोल रही हिमालय बचाओ समिति, पढ़िए पूरी ख़बर 

फोरलेन-अंधाधुंध निर्माण

मोनिका शर्मा, धर्मशाला

हिमालय बचाओ समिति, एनवीरोनिक्स ट्रस्ट, हिमाचल प्रदेश घूमंतू पशुपालक महासभा तथा हिमधारा पर्यावरण समूह के हिमालय नीति अभियान के तहत धर्मशाला में सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस की गई। एनएच निर्माण को प्रदेश के लिए घातक करार देते हुए हिमाचल बचाओ समिति ने इसे प्रदेश में आई आपदा का अहम कारण बताया।

प्रदेश सरकार कांगड़ा को टूरिज्म कैपिटल बनाने के नाम पर 5 करोड़ सैलानियों को लाने की बात कह रही,  जो सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि क्वांटिंटी डवेलपमेंट की बजाए क्वालिटी डवेलपमेंट पर काम किया जाए। इसके अलावा पर्यटन विकास के नाम पर अंधाधूंध होटल निर्माण के साथ बांधों को भी प्रदेश के बड़ा खतरा बताया। समिति ने कहा कि ये आपदा मानव जनित कतई नहीं है। समिति पदाधिकारियों में शामिल गुमान सिंह ने कहा कि विकास का ये मॉडल प्रदेश के भविष्य के लिए अच्छा संदेश नहीं है।

समिति ने कहा कि हिमालय नया पहाड़ है तथा यहां खतरे शेष विश्व से कहीं ज्यादा हैं। हिमालय बढ़ रहा है तथा ये कच्च पहाड़ है। उन्होंने कहा कि एनएचएआई तक खुद मान चुकी हैं कि फोरलेन बनाने का काम उनके लिए नया प्रयोग है तथा पहाड़ों में फोरलेन निर्माण का उनका कोई अनुभव नहीं है।

समिति ने कहा कि कांगड़ा में दो फोरलेन पठानकोट से मंडी तथा मटौर से शिमला बन रहे हैं जिसके कारण आपदा का रूख अब कांगड़ा की ओर हो गया है। यहां वक्ताओं ने एनएचएआई पर मनमानी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि एनएच के निर्माण के चलते मंडी से पंडोह परमानेंट स्लाइडिंग जोन बन चुका है। उन्होंने कहा कि समिति ने फोरलेन मामले में आरटीआई तक कोई जबाव नहीं मिल पा रहा।

उन्होनें कहा कि बांधों से इतनी ज्यादा मात्रा में पानी छोड़ा गया कि भारी नुक्सान हुआ। गुमान सिंह ने टीसीपी तथा पोल्युशन कंट्रोल बोर्ड को भी आड़ हाथ लेते हुए कहा कि दोनों विभाग पैसा लेते हैं लेकिन करते कुछ नहीं। पूरे हिमाचल में 1300 के करीब घरों को भारी नुक्सान पहुंचा है तो प्रदेश् सरकार प्रभावित लोगों को घरों ओर खेती के लिए जंगलों में जमीन प्रदान की जाए।

उन्होंने कहा कि वन कानून में छूट के साथ प्रदेश की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए। विधानसभा में इस पर चर्चा कर केंद्र सरकार को इस बारे लिखा जाए।। इस मौके पर आइडियोलॉजी पर बात करते हुए कुलभुषण उपमन्यू ने कहा कि विकास कैसा हो इस बासत को समझना होगा।

उन्होंने कहा कि ये हमें निश्चित करना होगा कि क्या हम अगली पीढीयों को एक बेहतर कल देकर जाना चाहते हैं या फिर इस सदी में सुख से जीने के बाद अगली पीढ़ी को अंधकारमय कल देकर जाना चाहते हैं। उन्होंने इसके लिए विेकास के आईडियोलॉजिक्ल और टैक्नोलोजिकल विकल्प मौजूद हैं।

हिमालय के संदर्भ में विकास को पुन परिभाषित करने की जरूरत है। उन्होंने टिकाऊ विकास पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। इस मौके पर पदाधिकारियों में संदीप मन्हास तथा अश्वनी कौल मौजूद रहे।

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