स्टार्टअप योजना महिला
देश में गरीब कमजोर और बेसहारा लोगो के लिए चलाई जा रही सरकार की योजनाओं का लाभ उन तक नही पहुंच रहा जिसका सबसे बड़ा उदाहरण हिमाचल प्रदेश की दुर्गम स्थान किन्नौर के गांव मीरू की दीपमाला है। जिसे मुख्यमंत्री स्वाबलंबन योजना का लाभ तक नही मिल रहा जिससे थक हार कर अब दीपमाला ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री तक को इसकी शिकायत की है …. आप भी पढ़े क्या है पूरा मामला और कहा आ रही है समस्या….
मै दीपमाला नेगी जिला किन्नौर के गाँव मीरू की निवासी हुँ। मै आपके सामने एक आप बीती साझा करना चाहती हुँ की किस तरह सहकारी बैंक द्वारा मुख्यमंत्री सवाबलम्बन योजना का मजाक बनाया जा रहा है मैंने इस योजना के तहत DIC किन्नौर मै अपना प्रोजेक्ट जमा किया था जंहा से यह प्रोजेक्ट अनुमति के लिए जिला कमिशनर के पास गया जंहा से अनुमति के बाद DIC ने इसे hp state co. Bank ltd tapri शाखा को भेजा उसके बाद यह प्रोजेक्ट फ़ाइल बैंक की मुख्य शाखा reckongpeo को भेजा गया परन्तु यहां पर बिना कोई ठोस कारण बताएं मेरे प्रोजेक्ट के लिए मिलने वाली आर्थिक मदद को रोक दिया गया जबकि मेरे द्वारा तय समय पर सभी कागजात जमा करवा दिए गए थे
मेरा इन कागजात की तेयार करने मै काफ़ी खर्चा हुआ जो लगभग 120000 के आस पास है जिसमे मेरी दूकान का किराया भी है ऐसा भी नही है की मुझे ीा प्रोजेक्ट के सम्बन्ध मै अनुभव नही है।
मै यह कहना चाहती हुँ की एक नारी होने के कारण मेरे साथ भेदभाव हुआ क्युकी मेरे कागजात परिपूर्ण थे क्या एक महिला को अपने पाँव पर खड़े होने का अधिकार नही है। बैंक द्वारा मेरा ही नही मुख्यमंत्री स्वाभलंबन जैसी योजना का भी मज़ाक उड़ाया है। एक तरफ तो सरकार महिला सशक्तिकरण से संबधित योजनाओं का खूब प्रचार प्रसार करती है परन्तु दूसरी तरफ सहकारी बैंक इन योजनाओं का धरातल पर ही रोक देते है जबकि मेरे द्वारा सभी डॉक्यूमेंट जमा थे। मै जितनी राशि आर्थिक मदद चाहती थी उससे दुगनी कीमत के जमीनी कागजात बैंक मै जमा कर चुकी थी परन्तु बैंक द्वारा मेरी आर्थिक मदद को रोक दिया जो की न्याय संगत नही है इस तरह का रवैया नारी सशक्ततीकरण को नही दर्शाता बल्कि सरकार के उन खोखले दावो की पुस्टि करता है जिनमे नारी सशक्तकरण के बारे मै बढ़ चढ़ कर बताया जाता है ज़ब की धरातल पर कहानी कुछ और है।