मोनिका शर्मा, धर्मशाला
एक तरफ दिल्ली में स्क्रीनिंग कमिटी कांग्रेस के टिकट फाइनल करने में लगी है, तो दूसरी ओर सत्ता के द्वार माने जाने वाले जिला में ही कांग्रेस परिवारवाद पर घिरने लगी है। कांग्रेस सरकार से ही पूर्व में मंत्री रह चुके मेजर विजय सिंह मनकोटिया ने परिवारवाद का मसला उछला है। इसके जवाब में मंगलवार को धर्मशाला कांग्रेस ने भी पलटवार कर दिया, लेकिन मनकोटिया का सवाल इतना तीखा है कि इसकी भरपाई करना बेहद कठिन है। सियासी जानकार मान रहे हैं कि अब तक भाजपा ही कांग्रेस को परिवारवाद पर घेर रही थी, ऐसे में मनकोटिया ने भाजपा को ऐन मौके पर चुनावों से पहले मुद्दा दे दिया है।
हम यह नहीं कहते कि शिक्षक का बेटा शिक्षक, डाक्टर का बेटा डाक्टर हो सकता है, तो नेता का बेटा नेता क्यों नहीं, लेकिन सबसे बड़े जिला में पड़ताल की जाए, तो मनकोटिया के आरोपों में दम दिखने के कई कारण हैं। आठ सीटों पर सीधे ही मनकोटिया के आरोपों को दम मिलता है। सबसे पहले नूरपुर से शुरू करें, तो दिवंगत कांग्रेस नेता सत महाजन के बेटे अजय महाजन नूरपुर से पार्टी के नेता हैं। सत महाजन विधायक, मंत्री व सांसद जैसे बड़े ओहदों पर रह चुके हैं। अब नूरपुर में उनके बेटे अजय महाजन के बाद दूसरी पंक्ति में कोई बड़ा नाम नहीं दिखता है। इसी तरह पालमपुर में पूर्व मंत्री, विस अध्यक्ष व मंत्री जैसे ओहदों पर काबिज रहने वाले बृज बिहारी बुटेल के बेटे आशीष बुटेल मौजूदा विधायक हैं। आशीष बुटेल को पार्टी में चुनौती देने वाला दूर दूर तक नहीं दिखता।
मनकोटिया के निशाने पर रहे सुधीर शर्मा के पिता स्व पंडित संत राम बैजनाथ छह बार विधायक रह चुके हैं। उसके बाद दो बार वहां से विधायक रह चुके उनके बेटे सुधीर शर्मा बैजनाथ के रिजर्व होने के बाद अब धर्मशाला में कांग्रेस के दावेदार हैं। धर्मशाला में कांग्रेस में वह काफी मजबूत हैं। इसी तरह नगरोटा बगवां की बात की जाए, तो चार बार वहां से विधायक एवं मंत्री जैसे पदों पर रहने वाले दिवंगत जीएस बाली के बेटे आरएस बाली अब टिकट के दावेदार हैं।
मनकोटिया के आरोपों की जवाली में पड़ताल की जाए, तो वहां चौधरी चंद्र कुमार व उनके बेटे पार्टी में मजबूत नेता हैं। वहीं फतेहपुर में दिवंगत कांग्रेस नेता सुजान सिंह पठानिया के बाद अब उनके बेटे भवानी सिंह मौजूदा विधायक हैं। जयसिंहपुर की बात करें,तो धाकड़ नेता दिवंगत डा मिलखी राम गोमा के बाद उनके बेटे यादविंद्र गोमा अब पार्टी को लीड कर रहे हैं। दूसरी ओर ज्वालामुखी में स्वतंत्रता सेनानी कल्याण बोर्ड प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुके पंडित सुशील रतन के पुत्र वहां से टिकट के दावेदार हैं।
इसके अलावा कुछ अन्य पदों पर एक ही परिवार के लोग काबिज हैं। दूसरी ओर कांगड़ा जिला में भाजपा की बात करें, तो नगरोटा बगवां, कांगड़ा, धर्मशाला, शाहपुर, नूरपुर, देहरा, ज्वालामुखी, जसवां परागपुर, सुलाह, जयसिंहपुर आदि सीटों पर अभी तक हालात सुखद नजर आ रहे हैं। बहरहाल सवाल कौन पूछ रहा है, इस बात को एक तरफ रखकर सिर्फ सवाल को समझा जाए, तो यह चर्चा तो होती ही रहेगी कि क्या सबसे बड़े जिला कांगड़ा में क्या कांग्रेस परिवार की दहलीज पार नहीं कर पा रही है।
कांग्रेस में परिवारवाद हावी है। यही कारण है कि इतनी बड़ी पार्टी की आज हालत खराब हो गई है
मेजर विजय सिंह मनकोटिया, पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस नेता
कांग्रेस में परिवारवाद हिमाचल से लेकर दिल्ली तक है। भाजपा ने हमेशा परिवारवाद को परे रखकर आम कार्यकर्ता को आगे बढऩे का मौका दिया है
सुरेश कश्यप, प्रदेशाध्यक्ष, भाजपा