एससी-एसटी अत्याचार
उपायुक्त हेमराज बैरवा ने पुलिस और अभियोजन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों के साथ अत्याचार के मामलों की जांच एवं अभियोजन में अनावश्यक देरी नहीं होनी चाहिए। वीरवार को अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत जिला स्तरीय सतर्कता एवं प्रबोधन समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त ने ये निर्देश दिए। बैठक में उक्त अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की प्रगति की समीक्षा की गई।
उपायुक्त ने कहा कि ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज होने पर इसकी सूचना तुरंत सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को भी दी जानी चाहिए, ताकि पीड़ित व्यक्ति को राहत राशि प्रदान की जा सके। उन्होंने कहा कि जिले में अभी 17 मामलों में पुलिस की जांच चल रही है। संबंधित अधिकारी इनकी जांच पूरी करके तुरंत अगली कार्रवाई करें। विभिन्न न्यायालयों में लंबित 24 मामलों की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए अभियोजन विभाग के अधिकारी उचित कदम उठाएं, ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके। रद्द मामलों की रिपोर्ट को भी हमेशा अपडेट रखने के लिए पुलिस, अभियोजन और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारी आपसी समन्वय के साथ कार्य करें।
उपायुक्त ने कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम का उद्देश्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों के अधिकारों की रक्षा करना तथा समाज में जाति के आधार पर भेदभाव एवं अत्याचारों का उन्मूलन करना है। इसलिए इन वर्गों से संबंधित संवेदनशील मामलों की जांच एवं अभियोजन में देरी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने जिला कल्याण अधिकारी को समिति की बैठक की कार्यसूची सभी गैर-सरकारी सदस्यों को बैठक से पहले ही प्रेषित करने के निर्देश दिए, ताकि ये सदस्य विभिन्न मामलों की वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी हासिल कर सकें। इस अवसर पर जिला कल्याण अधिकारी राकेश पुरी ने विभिन्न मामलों का विस्तृत ब्योरा प्रस्तुत किया।
अन्य अधिकारियों ने भी समिति को संबंधित मामलों की ताजा स्थिति से अवगत करवाया तथा समिति के गैर-सरकारी सदस्यों ने भी कई महत्वपूर्ण सुझाव रखे। बैठक में एएसपी अशोक वर्मा, उप जिला न्यायवादी राहुल चोपड़ा, डीएसपी रोहिन डोगरा, डीएसपी बड़सर लालमन शर्मा, अन्य अधिकारी तथा समिति के गैर सरकारी सदस्य भी उपस्थित रहे।