पहाड़ों में कदमताल के शौकीन देश-विदेशी कई सैलानी कुल्लू-मनाली में आते हैं और बिना पंजीकरण के कठिन व जोखिम भरे मार्ग में ट्रैकिंग के लिए निकल पड़ते हैं। ऐसा ही मामला गत दिन पेश आया। कुल्लू में 18 हजार फीट की ऊंचाई स्थित रत्नी टिब्बा को ट्रैक करने के लिए निकला दल पुलिस-प्रशासन की अनुमति के बिना ही गया था। जिस कारण उनकी खोज करने के लिए हवाई रेकी का सहारा लेना पड़ा है। प्रशासन ने ट्रैकिंग रूट पर निकलने वाले ट्रैकरों के लिए पंजीकरण और प्रशासन को सूचना देने का प्रावधान किया है। उसके बाद ही पर्यटक ट्रैकिंग रूट पर जा सकते हैं।
22 अगस्त को छह सदस्य मणिकर्ण घाटी के मलाणा क्षेत्र होते हुए रत्नी टिब्बा गए। रास्ते में जब ये सभी अलग-अलग हुए तो चार सदस्यों का पता नहीं चल पाया। इसके बाद दो सदस्य नौ सितंबर को वापस लौटे। उन्होंने प्रशासन को बताया कि ट्रैकिंग पर गए चार सदस्य टिब्बा के पास कहीं खो गए हैं। इसमें कोलकाता के रहने वाले 43 वर्षीय ट्रैकर अभिजीत बानिक, 42 वर्षीय चिंमय मंडल, 37 वर्षीय दिबाश दास और 31 वर्षीय बिनाय दास शामिल थे। प्रशासन ने एयर फोर्स से हवाई रेकी करने का आग्रह किया। जिस कारण एयर फोर्स के दो हेलीकाप्टर ने हवाई रेकी कर लापता ट्रैकरों को टिब्बा के पास घाटी में ट्रैक किया और उसके बाद से उनका रेस्क्यू आपरेशन जारी है। चारों ट्रैकर को बेस कैंप तक पहुंचा दिया है। जिला प्रशासन ने उम्मीद जताई है कि मंगलवार शाम तक चारों को सड़क तक पहुंचाया जाएगा।
हादसों से नहीं लिया सबक
जिला के चंद्रखणी दर्रे में करीब 70 घंटे से लापता आठ संत लोंगोवाल इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी संगरूर के छात्रों को हेलीकॉप्टर के जरिए रेस्क्यू किया गया था। समुद्र तल से करीब 12 हजार फीट ऊंचे चंद्रखणी जोत पर फंसे इंजीनियरिंग छात्रों को मौत को मात देकर निकाला गया। 11 मार्च 2016 को यह घटना घटी थी जिसके बाद प्रशासन ट्रैकिंग रूटों पर अलर्ट हो गया था। 17 अप्रैल 2015 को बशलेऊ जोत में भी ट्रैकर फंसे थे जिन्हें भी सुरक्षित निकाला गया था। अब अली रत्नी टिब्बा में कोलकता के चार ट्रैकर लापता हो गए थे, जिन्हें खोज लिया गया है।
ये हैं ट्रैक रूट
कुल्लू-मनाली व लाहुल-स्पीति के मशहूर ट्रैक रूट मनाली-हामटा पास-छतडू, मनाली-चंद्रखणर मलाणा, मनाली-भृगु-रोहतांग, मनाली-दशौहर-कोकसर, मनाली-रानीसुई, मनाली-बडाभंगला-बीड मणिकर्ण-खीरगंगा-पीन वैली, मनाली-सोलंगनाला-ब्यासकुंड, मनाली-हामटा-इंद्रकिला, उदयपुर-मयाडनाला-कांगला पास, कोकसर-योचे-दारचा, बारालाचा-जांस्कर, किबर-छमोरेरी-लददाख ट्रैक, अली रत्नी टिब्बा आदि शामिल हैं। बिना गाइड व प्रशासन की अनुमति के इन ट्रैक पर निकलने की गलती नहीं करनी चाहिए।
पंजीकरण जरूर करवाएं : एसपी
पुलिस अधीक्षक कुल्लू गुरदेव शर्मा का कहना है कुल्लू-मनाली की पहाड़ियों में ट्रैकिंग पर जाने से पहले अपना पंजीकरण करवाएं। साथ ही ट्रैकिंग के दौरान अपने मोबाइल का जीपीएस आन रखें, ताकि पुलिस उनकी लोकेशन का पता लगा सके और आपात स्थिति में उन तक पहुंच सके। ट्रैकरों से आग्रह किया कि पूरी जानकारी और सुरक्षा उपकरणों के साथ ही पहाडों का रुख करें।