काश! वाहन कागजों पर ही चलते तो हादसे भी नहीं होते। यहां ब्लैक स्पाट हैं न अवैध कट। कागजों में सब समतल है, लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और है। पहाड़ी प्रदेश हिमाचल की संकरी सड़कें हर वर्ष लोगों की जान ले रही हैं। सड़क निर्माण में इंजीनियरों की लापरवाही से ब्लैक स्पाट रह जाते हैं। अंधे मोड़ व कई स्थान पर सड़क कम तो कहीं अधिक चौड़ी रह जाती है। परिणामस्वरूप ऐसी सड़कों पर दुर्घटनाएं अधिक हो रही हैं। सरकारी कागजों में ब्लैक स्पाट हटा दिए हैं, केवल बद्दी में एक ब्लैक स्पाट को सुधारने का काम चल रहा है। हर दिन सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की मृत्यु होने के मामले आते हैं, जिनमें मानवीय चूक के साथ सड़कों में कमियां बड़ा कारण रहती हैं।
ब्लैक स्पाट दूर करने की व्यवस्था
राज्य की सड़कों पर एक ही स्थान पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में पुलिस अग्रणी भूमिका निभाती है। पुलिस की ओर से ब्लैक स्पाट हटाने या ठीक करने की दिशा में सरकार को दी विस्तृत रिपोर्ट पर लोक निर्माण विभाग कार्य करता है। इसके अतिरिक्त पुलिस, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को ब्लैक स्पाट की जानकारी देता है। प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में ब्लैक स्पाट हटाने के लिए लोक निर्माण विभाग, एनएचएआइ और बीआरओ कार्य करता है। हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के चालक भी ब्लैक स्पाट की रिपोर्ट देते हैं। कहां सड़कें कम चौड़ी व बसों को मोड़ना मुश्किल होता है। पुलिस एक ही स्थान पर तीन साल तक होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के बाद ब्लैक स्पाट घोषित करती है। लोक निर्माण विभाग ऐसे ब्लैक स्पाट को ठीक करता है।
विभागों के बीच तालमेल का अभाव, ये तीन कारण बन रहे घातक
समस्या को दूर करने के लिए सरकारी विभागों में तालमेल का अभाव है। हर विभाग अलग-अलग दिशाओं में जा रहा है। जिसका परिणाम यह कि ब्लैक स्पाट, अवैध कट, वल्नरेबल स्पाट (अति खतरनाक) वाहन चालकों की परीक्षा लेते हैं।
310 ब्लैक स्पाट जीवीके ने किए थे चिन्हित
दो साल पहले राज्य में एंबुलेंस सेवा देने वाली जीवीके कंपनी ने 310 ब्लैक स्पाट की जानकारी परिवहन विभाग को दी थी। लेकिन इसकी जानकारी पुलिस को दी गई या नहीं, इस संबंध में कोई पता नहीं चल सका।
बीआरओ सात दिन में हटाता है ब्लैक स्पाट
बीआरओ राज्य के सीमावर्ती जिलों लाहुल-स्पीति व किन्नौर में सड़क निर्माण करता है। इन सड़कों का रखरखाव भी बीआरओ के पास है। बीआरओ की ओर से बताया गया कि किसी भी सड़क पर दुर्घटना होने के बाद पहला काम उस जगह पर एल्युमिनियम एंगल से रोक लगाने का होता है। उसके बाद एक सप्ताह में ब्लैक स्पाट को हटाया जाता है। ब्लैक स्पाट के संबंध में जानकारी राज्य पुलिस विभाग की ओर से जारी की जाती है। स्पीति व किन्नौर में तीन-तीन और लाहुल में दो ब्लैक स्पाट बताए जाते हैं, जिन्हें समय-समय पर ठीक किया जाता है।
वीकेंड पर होते हैं ज्यादा हादसे
जीवीके के सर्वे के अनुसार राज्य में सड़क दुर्घटनाएं सप्ताह के आखिर में, अवकाश और छुट्टियों में अधिक होती हैं। यह न केवल प्रदेश के लोगों द्वारा की गई यात्राओं से बल्कि इस दौरान पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी से भी होती हैं। यह हादसे सबसे ज्यादा सायं के समय दो से नौ बजे के बीच में होती हैं। सर्वे में यह बात सामने आई है कि हादसों में 40 प्रतिशत युवा वर्ग ही शिकार होते हैं।
सरकारी आंकड़े यह कहते हैं
147 ब्लैक स्पाट थे राज्य में
46 ब्लैक स्पाट एनएच विंग ने ठीक किए
26 ब्लैक स्पाट तीन वर्ष में सुधारे
73 ब्लैक स्पाट की लोक निर्माण विभाग ने की मरम्मत
अब एक ही स्थान पर दो ब्लैक स्पाट इस समय बद्दी-नालागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर नसराली पुल के दोनों छोर ब्लैक स्पाट घोषित हैं। पुल के दोनों छोर को चौड़ा किया जा रहा है, ताकि वाहन दुर्घटनाग्रस्त न हों। इसके लिए मौजूदा वित्त वर्ष में 70 लाख रुपये का बजट जारी किया गया है।
इन आंकड़ों पर भी दौड़ाएं नजर
381 दुर्घटना की दृष्टि से खतरनाक स्थल चिह्नित
21.7 करोड़ रुपये दिए गए इन्हें दूर करने के लिए
सड़क हादसे
हादसे : 2125
मृत्यु : 849
घायल : 3423
नोट : इस वर्ष अक्टूबर तक
क्या कहते हैं अधिकारी
डीजीपी संजय कुंडू का कहना है पुलिस मुख्यालय में हर सोमवार को उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक होती है। इसमें ब्लैक स्पाट की समस्या से प्रभावित क्षेत्रों को लेकर चर्चा होती है। एक सप्ताह में संबंधित जिला के पुलिस अधीक्षक ने क्या कार्रवाई करवाई, उसकी जानकारी ली जाती है। ऐसे स्थान से वाहन सुरक्षित निकल सके, उसके लिए तत्काल प्रभावी उपाय करने के लिए कहा जाता है।