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स्मार्ट मीटर पर बिजली बोर्ड ने अब दोबारा फाइल सरकाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री के पास बोर्ड इस अभियान को लेकर अपना रुख रखेगा, ताकि राज्य सरकार प्रोजेक्ट को लागू करने पर हामी भरे। दरअसल, बिजली बोर्ड किसी भी सूरत में 3700 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट को हाथ से निकलने देने के मूड में नहीं है। जिन तकनीकी खामियों को टेंडर रद्द होने की वजह करार दिया गया था, उन्हें दूर कर लिया गया है। दरअसल इस प्रोजेक्ट तक पहुंचने के लिए बिजली बोर्ड बीते करीब एक साल से केंद्र सरकार के साथ पत्राचार कर रहा था। केंद्र सरकार ने स्मार्ट मीटर और विद्युत व्यवस्था के रखरखाव के लिए करीब 1800 करोड़ रुपए देने का फैसला पिछले साल किया था। इस फैसले में केंद्र सरकार ने राज्य को 90-10 के अनुपात में धनराशि देने की बात कही थी। इस प्रोजेक्ट के पास होने के बाद राज्य सरकार ने विद्युत नियामक आयोग को भेजे ऋण लेने के प्रस्ताव से हाथ पीछे खींच लिए थे। राज्य सरकार को इस बड़े प्रोजेक्ट पर 180 करोड़ रुपए से भी कम की धनराशि खर्च करनी है, जबकि 1620 करोड़ रुपए की हिस्सेदारी केंद्र सरकार की होगी।
बिजली बोर्ड ने टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद आगामी दो साल में पूरे प्रदेश भर में स्मार्ट मीटर लगाने का फैसला किया था। इस दौरान जिस फर्म को स्मार्ट मीटर लगाने का टेंडर दिया जाना था, उसे प्रति मीटर के हिसाब से बोर्ड को भुगतान करना था। बोर्ड ने वित्तीय हालत को देखते हुए मीटर रेंट और बिजली के बिल की वसूली से अपने हिस्से की रकम को पूरा करने की तैयारी की थी। गौरतलब है कि प्रदेश में 22 लाख 59 हजार उपभोक्ता हैं और इनमें से 14 लाख 62 हजार उपभोक्ता 125 यूनिट से कम बिजली की खपत कर रहे हैं। ऐसे में बोर्ड को इन सभी उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर मुफ्त में लगाने हैं। इस प्रोजेक्ट के फंसने की यह सबसे बड़ी वजह बन गया है।
जल्द सरकार के समक्ष रखेंगे अपना पक्ष
बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक पंकज डढवाल ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया को तकनीकी कारणों से रद्द किया गया था। अब इस प्रक्रिया को दोबारा से शुरू करने का फैसला लिया गया है। इस बारे में बोर्ड प्रबंधन मुख्यमंत्री के समक्ष भी पक्ष रखेगा। यह केंद्र आधारित प्रोजेक्ट है और इसे पूरा करने में राज्य सरकार को बहुत कम हिस्सेदारी निभानी पड़ेगी। इस प्रोजेक्ट की मदद से स्मार्ट मीटर के साथ ही प्रदेश में बिजली के उत्थान का रास्ता भी खुलेगा। उन्होंने बताया कि जल्द ही बोर्ड प्रबंधन प्रदेश सरकार के समक्ष अपना पक्ष इस विषय पर रखेगा।
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