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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट अब अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए देश का सातवां हाईकोर्ट बनेगा

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट अब अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए देश का सातवां हाईकोर्ट बनेगा। हाईकोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए नियम बना दिए हैं। इन नियमों को न्यायालय कार्यवाही की ”लाइव स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग” नियम, 2023 के नाम से जाना जाएगा। ये नियम आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से लागू हो जाएंगे। इससे पहले गुजरात, उड़ीसा, कर्नाटक, झारखंड, पटना और मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालयों और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू कर दी गई है।

इससे मीडिया, पक्षकार और अन्य इच्छुक व्यक्तियों को कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति दी जाती है। गुजरात उच्च न्यायालय अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू करने वाला पहला उच्च न्यायालय बना था। हिमाचल हाईकोर्ट की ओर से बनाए गए इन नियमों में न्यायालय में तैनात बेंच से जुड़े कोर्ट मास्टर और कोर्ट स्टाफ के अलावा तकनीकी विशेषज्ञ (विशेषज्ञों) को प्रत्येक न्यायालय में नियुक्त किया जाएगा। इनका कार्य अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग को सक्षम करना होगा। न्यायाधीशों के बीच चर्चा, कार्यवाही के दौरान न्यायाधीश की ओर से स्टाफ को दिए गए निर्देश, कोर्ट मास्टर या रीडर की ओर से न्यायालय को दिया गया संदेश या दस्तावेज, कार्यवाही के दौरान न्यायाधीश को दिए गए दस्तावेज, वकील और मुव्वकिल की आपसी बातचीत को लाइव स्ट्रीमिंग के दायरे से बाहर रखा गया है।

न्यायाधीश यदि चाहें तो अपना निर्णय सुनाते हुए लाइव स्ट्रीमिंग को विराम दे सकते हैं। किसी भी व्यक्ति या संस्था, मीडिया, सोशल मीडिया को अदालत की कार्यवाही को रिकॉर्ड करने की अनुमति नहीं होगी। अधिकृत संस्था या व्यक्ति विशेष के अलावा इन नियमों के प्रावधान के विपरीत कार्य करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कानून के तहत मुकदमा चलाया जाएगा। वैवाहिक मामले, बच्चे को गोद लेना और बच्चे की हिरासत, यौन अपराधों से संबंधित मामले, महिलाओं के खिलाफ लिंग आधारित हिंसा से संबंधित मामले, पॉक्सो अधिनियम के तहत मामले लाइव स्ट्रीमिंग के दायरे से बाहर रखे गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं लाइव स्ट्रीमिंग शुरू करने के आदेश

सर्वोच्च न्यायालय में सांविधानिक और राष्ट्रीय महत्व के सर्वोच्च न्यायालय के मामले की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू करने के लिए याचिका दायर की थी। अदालती कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध करवाने की गुहार लगाई गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने इंदिरा जय सिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट के महासचिव के मामले में पाया था कि खुले न्याय और खुली अदालतों के सिद्धांत के विस्तार के रूप में लाइव स्ट्रीमिंग के महत्व पर जोर देना महत्वपूर्ण है। लाइव स्ट्रीमिंग की प्रक्रिया सावधानी पूर्वक संरचनात्मक दिशा-निर्देशों के अधीन होनी चाहिए। शुरू में केवल राष्ट्रीय और सांविधानिक महत्व के मामलों को लाइव स्ट्रीमिंग करके लगभग तीन महीने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा सकता है। बुनियादी ढांचे की उपलब्धता के साथ इसे बढ़ाया जा सकता है।

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