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इस बार आम की फसल का सीजन होने से इसकी बंपर पैदावार की उम्मीद से बागवानों के चेहरों पर रौनक दिख रही है। गर्मियों की दस्तक के साथ ही बगीचे आम के बौर की खुशबू से महकने लगे हैं। आने वाले दिनों में मौसम ने साथ दिया तो इस बार आम की बंपर फसल बागवानों की जेब भरने में मददगार साबित हो सकती है। वैसे भी पिछले साल आम की फसल का ऑफ ईयर होने के चलते इसकी पैदावार में अव्वल जिला कांगड़ा के नूरपुर क्षेत्र के बागवानों को खासा नुकसान उठाना पड़ा था। ऑफ ईयर होने के चलते ज्यादातर पेड़ों पर बौर ही नहीं पड़ा और रही सही कसर मौसम की बेरुखी ने पूरी कर दी। पिछले सीजन में ऑन ईयर होने के बावजूद मौसम की बेरुखी और तेला रोग की मार के चलते बागवानों को झटका लगा था। इस बार ऑन ईयर होने के चलते 10 से 15 दिन पहले ही आम के बगीचों में बौर पड़ना शुरू हो गया है।
विशेषज्ञों के मुताबिक बागवानों को आम की बेहतर फसल के लिए बौर के बाद फल की सेटिंग के समय दवाइयों का उचित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए, ताकि आम की बीमारियों की रोकथाम की जा सके। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक कांगड़ा जिले में कुल बागवानी उपज 37,878 हेक्टेयर में से करीब 21,245 हेक्टेयर भूमि पर सिर्फ आम की पैदावार होती है। शेष में लीची 2,712 हेक्टेयर, नींबू प्रजाति के फलों की 9,465 हेक्टेयर, अखरोट 812 हेक्टेयर, सेब 454 और अमरूद, आंबला व पपीता प्रजाति के फलों की 2,012 हेक्टेयर भूमि पर खेती होती है। आम का गढ़ कहे जाने वाले नूरपुर क्षेत्र में करीब 3,774 हेक्टेयर भूमि पर आम की पैदावार होती है।
क्या है ऑफ और ऑन ईयर
विशेषज्ञों के मुताबिक एक वर्ष आम की भार पैदावार होती है, उस वर्ष को ऑन ईयर कहते है। वहीं, एक वर्ष आम की कम पैदावार होती है तो इसे आम की फसल का ऑफ ईयर कहते हैं। इस वर्ष आम की फसल का ऑन ईयर है, जिसमें आम की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है। बागवानों को बगीचों में छिड़काव करने की सलाह विशेषज्ञों के मुताबिक बागवान आम के फलों को बीमारियों से बचाने के लिए आम की सेटिंग के समय मोनोक्रोटोफोस 100 एमएल प्रति 100 लीटर और हैक्साकोनाजोल 100 एमएल प्रति 100 लीटर पानी में मिलाकर आम के पेड़ों पर छिड़काव करें।