हाई कोर्ट ने प्रदेश
हाई कोर्ट ने प्रदेश में दवाइयों की परीक्षण प्रयोगशाला न होने पर केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कोर्ट ने प्रधान सचिव स्वास्थ्य और ड्रग कंट्रोलर से 186 दवाइयों की टेस्ट रिपोर्ट का रिकार्ड मंगवाया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हुई। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि सेंट्रल बैंक की ओर से दवाइयों की परीक्षण प्रयोगशाला बनाने के लिए जारी किए गए 30 करोड़ रुपए का क्या हुआ। कोर्ट ने ड्रग इंस्पेक्टर के खाली पदों की भी जानकारी मांगी है। खाली पड़े पदों को भरने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि वर्ष 2017 में सेंट्रल बैंक ने बद्दी में दवाइयों के परीक्षण के लिए प्रयोगशाला के निर्माण हेतु 30 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की थी। अदालत ने इन सभी निर्माण कार्यों का ब्यौरा तलब किया है। पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस संस्था ने सूबे में दवाइयों के परीक्षण प्रयोगशाला न होने पर याचिका दायर की है। आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2014 में उद्योग विभाग की ओर से 3.50 करोड़ रुपए प्रयोगशाला के निर्माण के लिए खर्च किए गए हैं, लेकिन अभी तक इसे चालू नहीं किया गया है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने 12वीं पंच वर्षीय योजना के तहत 30 करोड़ रुपये की राशि जारी की थी।
तीन दिन के भीतर मामला सुलझाएं अधिकारी प्रदेश हाई कोर्ट ने मनाली बाइकर्स एसोसिएशन की बाइक को सरचू में रोकने से जुड़े मामले की परिस्थितियों को देखते हुए इस विवाद को आपसी बातचीत से निपटाने हेतु केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को तीन दिनों के भीतर संबंधित अधिकारियों के साथ वीडियो कान्फे्रंसिंग कर मामला सुलझाने के आदेश दिए। कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा कि यह मामला दरअसल हिमाचल सरकार और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के बीच है, इसलिए इसे आपसी समझौते से निपटाया जाना जरूरी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने लेह के एसपी को आदेश दिए कि वह लेह लद्दाख, जम्मू कश्मीर और लद्दाख को जाने वाली सडक़ों पर जाने वाले प्रार्थी संस्था के लोगों और मशीनरियों को उचित सुरक्षा मुहैया कराए।