शिक्षकों की कमी
शैक्षणिक सत्र 2023-24 में 50 विद्यार्थियों ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल नड्डल को छोड़ा है। इसका मुख्य कारण स्कूल में तीन साल से प्राधानाचार्य, पांच प्रवक्ताओं सहित तीन अध्यापकों के पद खाली पड़े हैं। हैरानी की बात है कि शैक्षणिक सत्र 2022-23 के दौरान विद्यालय में जमा एक और दो कक्षा में 30 से 35 विद्यार्थी शिक्षारत रहे। वहीं, शैक्षणिक सत्र 2023-24 में विद्यार्थियों की संख्या घटकर महज 10 रह गई। स्टाफ की कमी के चलते मजबूरन विद्यार्थी अन्य स्कूलों समेत जिला मुख्यालय में शिक्षा अर्जित कर रहे हैं।
स्कूल में 11वीं और 12वीं कक्षाओं के लिए एक भी प्रवक्ता न होने से विद्यार्थियों को बीते तीन सालों से जुगाड़ के सहारे ही पढ़ाया जा रहा है। यदि यही आलम चलता रहा तो शिक्षा हासिल करने के लिए आठ से दस किलोमीटर का सफर तय कर आने वाले विद्यार्थियों के स्कूल छोड़ने की वजह से स्कूल में ताला लटकाने की नौबत आ सकती है। एसएमसी अध्यक्ष दर्शन कुमार, तिलक राज, नेक सिंह, सतीष कुमार, सुरेश कुमार, पवन कुमार, विकास कुमार और तेज सिंह का कहना है कि 2016 से राजकीय उच्च विद्यालय नड्डल को सत्रोन्नत करके राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक का दर्जा प्रदान किया गया।
बावजूद इसके सरकारें यहां स्टाफ तैनाती करना ही भूल गई। इतना ही नहीं स्कूल में तैनात प्रवक्ताओं और अध्यापकों का यहां से अन्यत्र तबादला कर दिया गया। स्कूल में प्रधानाचार्य, अग्रेजी, हिंदी, इतिहास, राजनीति विज्ञान, कंप्यूटर विषय के प्रवक्ताओं सहित टीजीटी नॉन मेडिकल, टीजीटी आर्ट्स, पीटीआई अध्यापक, क्लर्क और चपरासी के पद तीन सालों से खाली पड़े हैं। स्टाफ की कमी के चलते तैनात अध्यापक को ही कार्यालय कार्य का निपटान करने के साथ ही बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है। कार्यवाहक प्रधानाचार्य दलीप कुमार ने बताया कि पदों के रिक्त होने के बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया गया है। उच्च शिक्षा उपनिदेशक प्यार सिंह चाढ़क ने बताया कि प्रदेश भर में शिक्षकों की पदोन्नति हुई है। विद्यालय में भी दो प्रवक्ताओं की तैनात की जाएगी।