विधानसभा अध्यक्ष
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया नियम-67 के तहत चर्चा के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने काम रोको प्रस्ताव की चर्चा के लिए सरकार की ओर से सहमति प्रदान की। विधानसभा की कार्यवाही आरंभ होते ही भाजपा के सुखराम चौधरी ने नियम-67 के तहत प्रदेश सरकार द्वारा सत्ता संभालते ही 632 संस्थानों को बंद करने का मामला उठाया और विधानसभा के आज के सारे कामकाज को रोककर इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से चर्चा करवाने की मांग की। संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने विपक्ष की इस मांग का विरोध करते हुए कहा कि भाजपा इस विषय को पिछले 3 माह से उठा रही है। ऐसे में सदन में इस विषय को उठाना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए चुनावी समय में इन संस्थानों को खोला। बावजूद इसके जनता ने उन्हें नकार दिया।
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि यह मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए इस पर चर्चा नहीं की जा सकती। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हस्तक्षेप करते हुए विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि सरकार इस विषय पर चर्चा को तैयार है। उन्होंने कहा कि वह इस विषय पर चर्चा की अनुमति प्रदान करें। इसके पश्चात विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यसूची में आज के लिए शामिल सभी विषयों को स्थगित करते हुए नियम-67 के तहत चर्चा की अनुमति दी।
चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस विधायक राजेश धर्माणी ने कहा कि इस विषय पर नियम-130 के तहत भी चर्चा हो सकती थी। इसके बावजूद मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष ने इस विषय को नियम-67 के तहत चर्चा की अनुमति दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान कोरोना महामारी के समय अव्यवस्था देखने को मिली। इस कारण लोगों में रोष था, जिसके परिणाम-स्वरूप भाजपा चारों उपचुनाव हार गई तथा स्वास्थ्य मंत्री को पद से हटाना पड़ा। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के समय में खोले गए संस्थानों की यह स्थिति थी कि 2 प्रिंसिपल 3 कालेजों का दायित्व देख रहे थे। इसके अलावा कॉलेज में पढाने के लिए स्टाफ की व्यवस्था नहीं थी।
सदन में इसके बाद जब भाजपा विधायक जीतराम कटवाल ने चर्चा में भाग लेते हुए सता पक्ष के एक सदस्य पर टिप्पणी की, तो इससे माहौल गरमा गया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने व्यवस्था दी कि विधायक को लेकर जेआर कटवाल द्वारा कहे गए शब्दों को कार्यवाही से हटा दिया गया है। चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस विधायक इंद्रदत लखनपाल ने पूछा कि भाजपा की तरफ से प्रदेश में प्रधानमंत्री के बार-बार आने के बावजूद प्रदेश को क्या मिला। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार एक बार भी प्रधानमंत्री से हिमाचल के लिए कोई पैकेज नहीं ले पाई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कड़े निर्णय ले रहे हैं और विपक्ष को उनकी सराहना करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार आवश्यकता पड़ने पर संस्थान खोलेगी। भाजपा विधायक डॉ. हंसराज ने कहा कि यदि विधायक क्षेत्र विकास निधि और अन्य मदों से मिलने वाली राशि को बहाल नहीं किया गया तो वह धरना देने के अलावा आमरण अनशन पर भी बैठेंगे। उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र में संस्थान जनता की मांग पर खोले गए हैं। उन्होंने कहा कि सुक्खू के मुख्यमंत्री बनने से उनको सबसे अधिक खुशी हुई थी, क्योंकि सत्ता राजघरानों से निकलकर आम आदमी के हाथ आई थी, लेकिन व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर सुखविंदर सिंह सुक्खू अब ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू हो गए और तीन माह के कार्यकाल में ही उन्होंने 4500 करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया। उन्होंने पूछा कि आखिर यह कैसा व्यवस्था परिवर्तन है। उन्होंने अपने क्षेत्र में संस्थानों को बंद करने पर आपत्ति जताई। कांग्रेस विधायक सुरेश कुमार ने कहा कि यह कहना गलत है कि प्रदेश की जनता सड़कों पर आई है। उन्होंने कहा कि संस्थानों को खोलने का जनता ने बुरा नहीं माना है। उन्होंने कहा कि भोरंज में पूर्व मुख्यमंत्री ने कई घोषणाएं की। साथ ही यह भी माना कि 35 साल से वहां का विकास नहीं हुआ। ऐसे में सरकार ने सत्ता में आने पर जल्दबाजी में संस्थान खोले, ताकि चुनाव में उसका लाभ उठाया जा सके।