परवाणू-शिमला फोरलेन
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने परवाणू-शिमला फोरलेन से संबंधित अवैध कब्जों के मामलों की सुनवाई पर रोक लगा दी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि फोरलेन से अवैध कब्जे हाईकोर्ट के आदेशों से हटाए जा रहे हैं। अदालत ने सिविल और राजस्व अदालतों को हिदायत दी है कि फोरलेन से संबंधित अवैध कब्जों के मामलों पर सुनवाई न करें। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने डीसी की रिपोर्ट के अवलोकन पर यह आदेश पारित किए। हाईकोर्ट ने एनएचएआई को आदेश दिए कि वह तीन महीनों की भीतर सड़क किनारे शौचालय इत्यादि सुविधाएं प्रदान करने के लिए डीपीआर तैयार करें, ताकि बरसात से पहले इसका निर्माण शुरू किया जा सके। डीसी सोलन ने रिपोर्ट के माध्यम से अदालत को बताया कि फोरलेन बनाने वाली जमीन पर विवेक सूद ने अवैध कब्जा किया गया है। अदालत ने कलेक्टर सोलन को आदेश दिए कि वह तुरंत प्रभाव से अवैध कब्जा छुड़वाएं और अपनी रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करें। अदालत ने मामले की सुनवाई 11 अप्रैल को निर्धारित की है।
फोरलेन के निर्माण में हो रही देरी पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। नेशनल हाईवे प्राधिकरण ने अदालत के ध्यान में लाया था कि राजस्व विभाग की ओर से निशानदेही न करने के कारण फोरलेन निर्माण में देरी हो रही है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने परवाणू से कैथलीघाट तक फोरलेन को दिसंबर 2023 तक पूरी तरह से चालू करने का बयान हाईकोर्ट के समक्ष दिया था। ज्ञात रहे कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का कालका-शिमला फोरलेन ड्रीम प्रोजेक्ट था, लेकिन पिछले तीन सालों से कैथलीघाट-ढली के हिस्से का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। पहले भूमि अधिग्रहण के चलते काम लटका रहा। कालका से कैथलीघाट तक निर्माण कार्य अवैध कब्जों के कारण पूरा नहीं हो रहा है। कैथलीघाट से ढली तक 28.4 किमी लंबे फोरलेन के हिस्से का कार्य दो पैकेजों में तय किया गया है। इस पर 3,716.26 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। फोरलेन के दूसरे पैकेज के फोरलेन निर्माण के लिए 1956.26 करोड़ बजट की स्वीकृति दी गई है।