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नेताओ, बख्श दो बच्चों को… न बनो ब्यानवीर, खुद लड़ने दो अग्निवीरों को

कांग्रेस,आम आदमी पार्टी के नेताओं से एक गुजारिश है,आप लोग ब्यानवीर न बनें। आप लोगों में इतनी कुव्वत नहीं है कि आप लोग हमारे युवाओं के प्रेरणास्रोत बन सकें। मोदी सरकार के अग्निपथ की आग में जनता को कुंदन बनकर खुद निकलने दो। अगर आप लोग आंदोलन के बीच में टांग फ़साएंगे तो यह तय है कि यह जनांदोलन राजीनीतिक हो जाएगा। भाजपा के नेता तो आज ही यह बोलने शुरू हो गए हैं कि कांग्रेस के गुण्डे इस आंदोलन को चला रहे हैं । जबकि हकीकत यह है कि युवा अपना आंदोलन खुद चला रहे थे। युवा कांग्रेस बीच मे घुसी और भाजपा ने इस विशुद्ध युवा आंदोलन को कांग्रेसी आंदोलन खिताब दे दिया। ज्यादातर भाजपा नेता आईटी सेल की कट एंड पेस्ट पॉलिसी के तहत चार साल की नौकरी के फायदे गिनवाने शुरू हो गए। सोशल मीडिया के जरिये सोसाइटी को यह लोग बताने शुरू हो चुके हैं कि देश सेवा में इससे बेहतर कोई और योजना नहीं हो सकती ।

सलाहें बांटने वाले भाजपाई नेताओं ने तो दूर की बात,इनके बच्चों ने कभी सड़कों पर सेना में भर्ती होने वालें युवाओं को दौड़ते-हांफते और पसीने से तर-बतर नहीं देखा होगा। सब कुछ मोदी सरकार रुचि राखा होता जा रहा है। नेता जी, आप लोगों के बच्चे आपके रसूख के दम पर कुछ भी बन सकते हैं लेकिन आम आदमी के बच्चे को खास नौकरी हासिल करने की आग उनके दिलो-दिमाग के साथ उनके हाड़-मांस के जिस्म को भी जलाती है। रहम कर लो। यह युवाओं के अधिकार की जंग है। वो हाल-फिलहाल अपनी जंग को लोकतांत्रिक अधिकारों की ओट में लड़ रहे हैं और हिमाचली संस्कारों के साथ भी। इनके अंदर किसी पार्टी का कार्यकर्ता बनने का शौक नहीं है,बल्कि देश सेवा और देश भक्ति से लबरेज रोजगार का जनून है। मत कोई ऐसा काम करना जिसकी वजह से इनके आंदोलन पर कोई दाग लग जाए। मत बनो ब्यानवीर। आप लोगों के वोट बैंक से ज्यादा कीमती इन बच्चों के करियर और इनके माता-पिता और परिजनों के सपने हैं। कांग्रेस,गांधी फैमिली बनाम ईडी की लड़ाई पर जोर लगाए और आमआदमी पार्टी सतेंद्र जैन जैसे कट्टर ईमानदार के लिए मोदी सरकार को आंखे दिखाए। युवाओं ने अपनी आंखें मोदी सरकार की अग्निपथ योजना पर गड़ा रखी हैं। यह इनके हक की लड़ाई है। अपनी चार दिन की सियासत के लिए चार साल की आम युवा की नौकरी के मुकाबले न खड़ा करो। जंग लड़ने दो, अंजाम को भविष्य के गर्भ में रहने दो। ऐसे कोई प्रयास न करना कि प्री मेच्युर डिलीवरी हो जाए और सपनों का शिशु भी दम तोड़ जाए। बख्श दो बच्चों को, यह धन्ना सेठों की औलादें नहीं हैं, कोई किसान का बेटा है, कोई ड्राइवर का, कोई मजदूर का, एक भी बच्चा किसी राजनेता का मिलता है तो फिर चाहे जो मर्जी करना…

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