जवाली: हिमाचल प्रदेश में भाजपा व कांग्रेस की सरकारें कई बार सत्तासीन हुईं लेकिन हर बार पौंग बांध विस्थापितों के कब्जों को नियमित करने के लिए कोई ठोस नीति नहीं बना पाई। वर्ष 1971 में पौंग बांध निर्माण के कारण हल्दून घाटी के कई परिवार विस्थापित हुए जिनको उस समय नाममात्र ही मुआवजा दिया गया। उस समय की सत्तासीन केंद्र की कांग्रेस सरकार की मुखिया स्व इंदिरा गांधी ने विस्थापितों को अनाउंसमेंट से कहा कि जहां भी खाली जमीन मिलती है, वहीं पर अपना बसेरा बना लो। उसके बाद सैंकड़ों परिवार जहां-वहां खाली जमीन पर घर बनाकर बस गए।
आज इन कब्जाधारियों की संख्या हजारों में है लेकिन मौजूदा सरकारें अब विस्थापितों के कब्जों को अवैध करार देकर उखाड़ रही है जिससे विस्थापितों को दोबारा विस्थापित होने का डर सताने लगा है। विस्थापितों के कब्जों को वन विभाग द्वारा अवैध करार देकर उखाड़ा जा रहा है। विस्थापितों ने कहा कि हमने अपनी सारी जमापूंजी इन मकानों को बनाने में लगा दी है लेकिन बाद में अब वन विभाग द्वारा न तो आगे निर्माण करने दिया जाता है और न ही रिपेयर करने दी जाती है।
बेरोजगारी व महंगाई के कारण मकान बना पाना काफी मुश्किल है। आख़िरकार ऐसे में विस्थापित जाएं भी तो कहां जाएं। विस्थापितों ने कहा कि न तो हमें समझौता अनुसार श्रीगंगानगर में जमीन मिल पाई और न ही हमारे कब्जों को नियमित किया गया। उन्होंने कहा कि हमसे वोट ले लिए जाते हैं, तब यह नहीं कहा जाता है कि आप वन विभाग की जमीन पर रह रहे हो तो आपका वोट नहीं डलेगा। उन्होंने कहा कि जब चुनावों में वोट लेने की बारी आती है तो विस्थापितों के वोट अच्छे लगते हैं जबकि उनके कब्जे अवैध लगते हैं।
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री स्व वीरभद्र सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल व जयराम ठाकुर को भी विस्थापितों द्वारा इस समस्या से अवगत करवाया गया लेकिन इसके बाद भी सरकार ने कोई भी रूचि नहीं दिखाई। उन्होंने कहा कि इस बार हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार में सुखविंदर सुक्खू मुख्यमंत्री बने हैं तो विस्थापितों को आस जगी है कि इस बार विस्थापितों के कब्जों को नियमित करने के लिए ठोस नीति बनाई जाएगी।
इस बारे में पौंग बांध विस्थापित समिति के प्रदेशाध्यक्ष हंस राज ने कहा कि जिन जगहों पर विस्थापित बसे हुए हैं, उनके कब्जों को नियमित किया जाए ताकि विस्थापित दोबारा से विस्थापन का दंश न झेल पाएं।
पौंग बांध विस्थापित समिति के प्रदेशाध्यक्ष हंस राज