जिला अदालत चक्कर
जिला अदालत चक्कर ने 51 नामित जुआरियों को बरी कर दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शिमला ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए आरोपियों की अपील को स्वीकार किया है। निचली अदालत ने सभी आरोपियों को अदालत की कार्यवाही तक कोर्ट में बैठे रहने और सौ-सौ रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस निर्णय को 18 आरोपियों ने अपील के माध्यम से अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शिमला की अदालत में चुनौती दी थी।
मामले के अनुसार 16 अक्तूबर 2014 की रात नौ बजे पुलिस थाना चौपाल को गुप्त सूचना मिली थी कि स्थानीय निवासी राजेंद्र ठाकुर के निर्माणाधीन मकान में कुछ लोग जुआ खेल रहे हैं। नौ पुलिस कर्मियों की टीम ने मौके पर जाकर 51 अरोपियों को ताश की तीन गड्डियों और 1.26 लाख रुपये की नकदी के साथ पकड़ा था। मामले की जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ न्यायिक दंडाधिकारी चौपाल की अदालत में अभियोग चलाया।
निचली अदालत ने सभी आरोपियों को जुआ खेलने का दोषी पाते हुए सजा सुनाई थी। अपील की सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से दलील दी गई कि पुलिस ने उन्हें फंसाने की कोशिश की गई है। जिस कमरे से पुलिस ने उन्हें पकड़ा है, वह केवल 10 वाई 12 फीट का कमरा है। इतने से कमरे में 51 लोग मिलकर जुआ नहीं खेल सकते हैं। अदालत ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन पर पाया कि पुलिस ने नियमानुसार मकान की तलाशी में स्वतंत्र गवाह शामिल नहीं किए हैं।
अदालत ने पाया कि पुलिस ने जानबूझ कर कमरे के आकार के बारे में जांच में कुछ नहीं लिखा है। इससे प्रतीत है कि पुलिस कमरे के आकार के बारे में कुछ छुपाने की कोशिश कर रही है। पुलिस जांच की विसंगतियों और पुलिस के विरोधाभासी बयानों के आधार पर आरोपियों को सजा नहीं दी जा सकती है। अदालत ने निचली अदालत को खारिज करते हुए आरोपियों की अपील को स्वीकार कर दिया।