किसान का चैलेंज
धर्मशाला की कंद्रेहड़ पंचायत के पटौला गांव में खेती पर रिसर्च करने वाले बलवीर सैणी ऑर्गेनिक फार्मिंग करके अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे है। बलबीर सैनी की माने तो वे गोबर के साथ खेतो में लगे पौधों को भी खेत में ही मिला कर उसकी ग्रीन खाद बनाते है। जिससे फसल की पैदावार अच्छी होती है बलबीर सैनी जिला कांगड़ा में समय से पहले सब्जी की पैदावार करने के लिए जाने जाते है ,जब सभी किसान अपनी फसल काटते है। उस समय बलबीर सैनी अपनी फसल बेच कर अन्य सब्जी के उत्पादन में लग जाते है। हैरानी की बात तो यह है की बलबीर सैनी कई एकड़ जमीन में सब्जियों की पैदावार करते है। और इसमें वे अकेले ही सब काम करते है। वही किसान ने चैलेंज किया है की अगर उनके खेत में एक प्रतिशत भी अगर यूरिया निकला तो वे खेती छोड़ देंगे।
बता दे कि बलबीर सैनी ने घीया , कद्दू , फ्रासबिन , प्याज , तोरी, स्क्वैश व करेले की ऑर्गेनिक खेती कर सब्जी मार्किट में बेच दी है। जबकि जिला के बाकी किसान इसकी पैदावार करना शुरू हुए है।
बलबीर सैनी ने बताया की ऑर्गेनिक फार्मिंग में फसल की पैदावार अच्छी होती है और उसके दाम भी अच्छे मिलते है , उन्होंने बताया की किसान अक्सर मौसम को ना समझते हुए पैदाबार करते है जिसकी वजह ने उनकी पैदावार ठीक नही होती और उन्हें उनका ठीक दाम नही मिलता , बलबीर सैनी ने बताया की वे सब्जी को पानी से नुकसान ना हो इसका खासा ध्यान रखते है , पानी लगने से सब्जी खराब होती है अक्सर किसान इसका ध्यान नही रख पाते ।
उन्होंने बताया कि उन्होंने बिना अंग्रेजी खाद के खुले खेत में कच्ची मेेंढ़ पर ये प्याज उगाए हैं। सैणी ने इसमें 35 क्विंटल प्याज कच्चा (ग्रीन) ही बेच दिया था। कच्चे प्याज के उन्हें 35 रुपए प्रति किलो के मिले हैं। सूखे प्याज के उन्हें 20 रुपए प्रति किलो मिल रहे हैं। बेशक इस प्याज का साइज बड़ा है,लेकिन देसी खाद के चलते इसमें खूब रस है। मार्केट में यह हाथों हाथ बिक रहा है। गौर रहे कि बलवीर सैणी को प्रदेश का अग्रणी मीडिया हाउस दिव्य हिमाचल कुछ साल पहले एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित कर चुका है।