मोनिका शर्मा, धर्मशाला
हिमाचल में रिवाज बदलने का दम भरने वाली भाजपा सबसे बड़े जिला कांगड़ा में फंसती नजर आ रही है। नामांकन के अंतिम रोज सामने तस्वीर में दिख रहे 9 बागियों ने भाजपा के पसीने छुड़ा दिए हैं। जिला की आठ सीटों पर भाजपा से जुड़े नेता आजाद चुनाव लड़ रहे हैं। सबसे बड़ा संकट धर्मशाला सीट पर बन गया है। धर्मशाला में मंगलवार भाजपा एसटी मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष विपिन नेहरिया और मंडल अध्यक्ष अनिल चौधरी ने आजाद नामांकन भर दिया। अनिल चौधरी पिछले 35 साल से भाजपा से जुड़े रहे।
उन्होंने आप से भाजपा से शामिल में शामिल हुए राकेश चौधरी को टिकट का विरोध किया है। कांगड़ा सदर से भाजपा में रहे कुलभाष चौधरी ने नामांकन करके भाजपा प्रत्याशी पवन काजल की मुश्किलें बढ़ाई हैं। देहरा में होशियार सिंह भी भाजपा प्रत्याशी रमेश ध्वाला के लिए टेंशन बनेंगे। फतेहपुर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी रहे कृपाल परमार ने परचा दाखिल करके भाजपा को टेंशन दे दी है। ज्वालामुखी से भाजपा में रहे अतुल कौशल ने आजाद पर्चा भरके पार्टी के लिए संकट पैदा किया है। जसवां परागपुर से संजय पराशर ने आजाद नामांकन किया है।
इससे भाजपा प्रत्याशी बिक्रम ठाकुर की राह कठिन दिख रही है। इंदौरा से मनोहर धीमान ने आजाद नामांकन करके भाजपा प्रत्याशी रीता धीमान की मुश्किलें बढ़ाई हैं। इसी तरह शाहपुर से जिला पार्षद पंकू कांगडिय़ा ने नोमिनेशन करके सरवीण चौधरी की राह को कठिन किया है। दूसरी ओर नूरपुर और जवाली में भले ही कोई बागी नहीं दिख रहा हो, लेकिन नूरपुर में राकेश पठानिया का रुख देखने वाला होगा। वह भले ही फतेहपुर से लड़ रहे हों, लेकिन नूरपुर में उनकी धाक से सारा हिमाचल वाकिफ है।
नूरपुर में उनका रुख देखने वाला होगा। इसी तरह जवाली में अर्जुन ठाकुर का अगला कदम बहुत कुछ तय करेगा। कुल मिलाकर देखा जाए, तो सबसे बड़ी पार्टी और संगठन की मजबूती के दावे करने वाली भाजपा कांगड़ा जिला में घोर संकट में दिख रही है।
कांग्रेस के लिए सुलह-जयसिंहपुर में चिंता
कांग्रेस की बात करें, तो सबसे बड़े हलके सुलह में कांग्रेस से पूर्व सीपीएस जगजीवन पाल ने आजाद नामांकन करके पार्टी को उलझा दिया है। सुलह से जगदीश सिपहिया को टिकट मिलने के बाद पाल ने यह कदम उठाया है। कांग्रेस के लिए दूसरी टेंशन जयसिंहपुर भी है। यहां से पार्टी ने पिछले चुनाव में हार चुके यादविंद्र गोमा को टिकट दिया है। कांग्रेस से सुशील कौल को टिकट का दावेदार माना जा रहा था। सुशील कौल ने राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी का दामन थामा है। माना जाता है कि वह कांग्रेस को ज्यादा चुनौती रहेगी।