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लोहे की रॉड से पीट पीट कर मार डाला बैल, इंसानियत शर्मसार

इंसानियत शर्मसार

हदें तो इंसानों ने बनाई हैं बेजुवान क्या जानें हदें क्या होती हैं…

इंसान ने समाज को जाति धर्म में बांटकर कर टुकड़े टुकड़े कर दिए। धरती मां को भी इंच इंच कर टुकड़ों में बांट लिया और तो और इंसान ने अपने स्वार्थ के लिए मूक प्राणियों को भी नहीं छोड़ा, किंतु सवाल है कि… क्या इस प्रकृति पर सिर्फ और सिर्फ मनुष्य का ही अधिकार है ?? क्या अन्य जीवों का इस धरती पर कोई अधिकार नहीं ??

बात है भट्टियात क्षेत्र की बनेट पंचायत के चमन

पुत्र भूरी राम, गांव – द्रेणी अपने बैलों को लेकर धान की रोपाई (रूण) के लिए जा रहे थे । जाते समय उनका एक बैल देस राज पुत्र तिलक राज, गांव – बशाननाला के खेत में चला गया।

उस खेत में रोपाई का काम हो चुका था । बैल को अपने खेत में जाते देख… देसराज क्रोधित हो गया… और उसने लोहे की रॉड के साथ बेरहमी से मार मार कर वहीं बैल को मार डाला।

मौके पर उपस्थित बैल के मालिक चमन व अन्य लोगों ने देशराज को रोकने की कोशिश की , लेकिन देसराज तब तक नहीं रुका जब तक बैल तड़प तड़प कर मर नहीं गया।

यह दृश्य देखकर मौके पर उपस्थित लोगों के दिल पसीज गए, सभी ने हत्यारे देसराज के द्वारा की गई बैल की निर्मम हत्या की कड़ी निन्दा की, तथा उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की।

क्योंकि हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है और बैल को भगवान शिव के वाहन नंदी जी का स्वरूप माना गया है तथा इसकी पूजा की जाती है।

एक किसान के लिए बैल क्या होता है यह एक किसान ही जानता है , क्योंकि बैलों के सहारे ही किसान अन्न उगाता है और अपने परिवार का पालन पोषण करता है , एक बैल की क्षति किसान के परिवार के लिए घर के जिम्मेवार सदस्य की क्षति के समान ही होती है इसलिए हम मांग करते हैं कि बैल के हत्यारे को सख्त से सख्त सजा दी जाए।

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