हिमाचल प्रदेश को ग्रीन
हिमाचल प्रदेश को ग्रीन स्टेट बनाने के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के ऐलान के बाद राज्य सरकार ने सोलर पावर प्रोजेक्ट्स को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। इन परियोजनाओं के लिए लैंड सेलिंग से छूट देने का फैसला लिया गया है। दरअसल लैंड सीलिंग एक्ट में पन बिजली परियोजनाओं के लिए पहले से छूट दी गई है। सोलर प्रोजेक्ट्स इसमें शामिल नहीं थे, जबकि सोलर प्रोजेक्ट के लिए भी जमीन ज्यादा लगती है। हिमाचल में लागू लैंड सीलिंग एक्ट के तहत जमीन रखने की अधिकतम सीमा तय है। दो फसल देने वाली जमीन सिर्फ 10 हेक्टेयर ही रखी जा सकती है।
यदि जमीन एक फसल देने वाली है, तो एक व्यक्ति 15 हेक्टेयर तक ही जमीन रख सकता है। अन्य परिस्थितियों में 30 एकड़ अधिकतम सीमा है, जबकि भरमौर और बड़ा भंगाल और छोटा भंगाल, शिमला की डोडर क्वार और रामपुर के परगना पंद्रह बीस में 70 एकड़ तक जमीन रखी जा सकती है। इससे ज्यादा जमीन रखने के लिए एक्ट के तहत छूट मिलना जरूरी है। विधानसभा में इस बिल को रखती बार बताए गए कारणों में कहा गया है कि हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने का लक्ष्य पूरा करने के लिए सोलर परियोजनाओं को लैंड सीलिंग से छूट देना जरूरी है। बुधवार को ही विधानसभा में राज्य सरकार ने लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन के लिए एक विधेयक रखा है।
एक्ट की धारा-3 और 4 में जुड़ेगा ‘बालिग पुत्री’ शब्द
दरअसल राज्य सरकार लैंड सीलिंग एक्ट की दो तीन धाराओं में बदलाव करना चाहती है। इसका मुख्य मकसद बेटियों को भी लैंड सीलिंग एक्ट में दी गई सीमा के मुताबिक जमीन रखने का अधिकार देना है। इसके लिए एक्ट की धारा-3 और 4 में बालिग पुत्री शब्द को जोड़ा जा रहा है। पुत्रियों से मतलब विवाहित और अविवाहित दोनों से है। हालांकि इस संशोधन का राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक कोई ज्यादा प्रैक्टिकल असर नहीं है। क्योंकि एक्ट को पिछली डेट से लागू किया नहीं जा सकता और अगली डेट से करने पर लैंड सेलिंग का दायरा पहले से तय हो चुका है, लेकिन इसी संशोधन के दूसरे हिस्से में सोलर परियोजनाओं का नाम है।
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