बीबीएन : केद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की जांच में हिमाचल के 12 उद्योगों में निर्मित दवाएं गुणवता मानकों पर खरा नहीं उतर पाई हैं। हिमाचल में निर्मित जिन 13 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, उनमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक, मधुमेह, एलर्जी, हाई बीपी, अस्थमा, ग्लुकोमा के उपचार की दवाओं सहित कफ सिरप, एंटीबायोटिक व मल्टीविटामिन शामिल हैं। सबस्टैंडर्ड पाई गई दवाओं का निर्माण नालागढ़, बद्दी, बरोटीवाला, परवाणू, संसारपुर टैरेस, मैहतपुर, कालाअंब व पांवटा साहिब स्थित उद्योगों में हुआ है। इसके अलावा महाराष्ट्र, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, सिक्किम, हैदराबाद, गुजरात व पजांब स्थित दवा उद्योगों में निर्मित 34 तरह की दवाएं भी सबस्टैंडर्ड पाई गई हैं।
सीडीएससीओ की जांच में गुजरात के बड़ोदरा की दवा कंपनी में निर्मित हैपरीन इजेंक्शन नकली पाया गया है, इसके सैंपल सीडीएससीओ कोलकाता ने लिए थे, जिसकी सीडीएल कोलकाता में जांच हुई। बता दें कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने जून माह में देश के अलग अलग राज्यों से 1273 दवाओं के सैंपल एकत्रित किए थे, जिनमें से जांच के दौरान 47 दवाएं सबस्टैंडर्ड व एक दवा नकली पाई गई है, जबकि 1225 दवाएं गुणवता के पैमाने पर खरी उतरी है।
राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने सीडीएससीओ द्वारा जारी ड्रग अलर्ट के आधार पर तुरंत कार्रवाई करते हुए संबंधित हिमाचल की सभी 12 दवा कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर हुए सबस्टैंडर्ड दवा उत्पादों का पुरा बैच तत्काल बाजार से हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं। जिन दवा कंपनियों में निर्मित दवाएं बार-बार फेल हो रही हैं, उन कंपनियों का राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण व सीडीएससीओ के अधिकारी संयुक्त रूप से निरिक्षण कर विस्तृत जांच करेंगे। स्टेट ड्रग कंट्रोलर नवनीत मारवाह ने बताया कि सीडीएससीओ दवारा जारी जून माह के ड्रग अलर्ट में शामिल सभी सबंधित दवा कंपनियों को कारण बताओं नोटिस जारी करते हुए सबंधित बैच का पुरा स्टाक वापस मंगवाने के निर्देश दिए गए हंै। गुणवत्ता से समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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