कृषि मंत्रालय
सेब-सब्जियों को काले धब्बों और फ्रूट बोरर (सुंडी) के हमले से बचाने वाले कई कीटनाशकों को केंद्र सरकार प्रतिबंधित करेगी। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने इन कीटनाशकों को बनाने और बागवानों को बेचने पर रोक लगा दी है। इसके लिए राज्यों से 30 दिन में आपत्तियां मांगी हैं। निर्धारित अवधि में यदि कोई आपत्ति नहीं आती है तो कृषि मंत्रालय इस पर रोक लगाने की आगामी कार्रवाई शुरू करेगा। जिन आठ कीटनाशकों पर रोक लगाई जा रही है, उनमें मेलाथियान, क्यूनफोस, मोनोक्रोटोफोस, कोबाफ्यूरोन, मैनकोजेब, ऑक्सीफ्लोरफेन, डिमैथोट, क्लोरप्यरिफोस शामिल हैं।
इनमें से पांच कीटनाशकों का उपयोग हिमाचल प्रदेश के किसान-बागवान सीजन के दौरान करते हैं। ये कीटनाशक सेब के साथ-साथ टमाटर, आम समेत कई फल और सब्जियों में उपयोग होते हैं। यह न केवल फसलों को बीमारियों से बचाते हैं, बल्कि फल में चमक लाने का भी काम करते हैं। प्रदेश भर में सीजन के दौरान इन कीटनाशकों की खरीद पर किसान लाखों खर्च करते हैं। इस बारे में सोलन स्थित नौणी विश्वविद्यालय के प्लांट पैथोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. एचआर गौतम का कहना है कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से प्रकाशित सूची में जो कीटनाशक हैं, उनके विकल्प मौजूद हैं। सेब बागवानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है।
खतरनाक हैं ये कीटनाशक
केंद्र ने कीटनाशकों की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। समिति ने जांच में पाया कि इन सभी कीटनाशकों का उपयोग मनुष्य और पशुओं के लिए खतरनाक है। इनसे कई बीमारियां होने का खतरा होता है। ये कीटनाशक कई देशों में पहले से ही प्रतिबंधित हैं। समिति ने इसकी रिपोर्ट केंद्र को सौंपी थी, जिसके बाद केंद्र इन्हें प्रतिबंधित करने जा रहा है।
सेब के लिए जरूरी हैं ये कीटनाशक
जिन कीटनाशकों को प्रतिबंधित किया जा रहा है, उनमें सबसे जरूरी मेलाथियान है, जो सेब को फ्रूट बोरर (सुंडी) से बचाता है। इसके छिड़काव से सेब में सुंडी का हमला नहीं होता। कीटनाशक क्यूनफोस को भी प्रतिबंिधत किया जा रहा है। इसका उपयोग कच्चे सेब को काले धब्बे लगने से बचाने के लिए किया जाता है। साथ ही क्लोरप्यरिफोस कीटनाशक का उपयोग भी सेब के पौधे में जड़ों में लगने वाली सुंडी को मारने के लिए किया जाता है। यह फल में रस चूसने वाले कीड़े को भी मारता है। मैनकोजेब का उपयोग पत्तों में लगने वाले फंगस को मारने के लिए किया जाता है। इससे पत्तों में चमक आती है।