Maha Shivratri 2023: देश में एक बार फिर त्योहार मनाने की तैयारी ज़ोरो पर चल रही है। 18 फरवरी को देश भर में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ने कैलाश पर्वत पर माता पार्वती से विवाह किया था। इसीलिए महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की पूजा बेहद फलदायी मानी जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने रात को तांडव नृत्य भी किया था। शिव के इस नृत्य को सृजन और विनाश की अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है।
लोग इस दिन व्रत रखते हैं और पूरे दिन भगवान शिव का ही ध्यान धारण करते हैं। मान्यता है कि जो भी जातक महाशिवरात्रि का व्रत रखते हैं उन्हें नरक से मुक्ति मिलती है। इस व्रत के करने मात्र से ही सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा की शुद्धि होती है।
महाशिवरात्रि व्रत से जुड़े कई नियम हैं, जो लोगों को अपनाने ही होते हैं, इसके अलावा लोग इस त्योहार के दिन कई तरह के रंग पहनने से भी बचते हैं। ज़्यादातर लोग हरा, पीला, लाल, नारंगी, सफेद, गुलाबी और कई रंग पहनते हैं, लेकिन काले रंग से दूरी बनाते हैं।
हिंदू मान्यता के अनुसार, काला रंग मातम, शोक, नकारात्मक ऊर्जा और अंधकार से जुड़ा हुआ है। शुभ मौके पर, आपको ऐसे रंग पहनने चाहिए जो आपको खुशी, आनंद, विश्वास, आशा और शांति दें।
इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार 18 फरवरी को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, शिवरात्रि से एक और कहानी जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने विष पी लिया था, जिसके बाद वे नीले पड़ गए थे। समुद्र मंथन से जल का हलाहल विष निकला था। उस विष की ज्वाला से सभी देवता और असुर जलने लगे थे और उनकी कान्ति फीकी पड़ने लगी। इस पर सभी ने मिलकर भगवान शंकर से प्रार्थना की। उनकी प्रार्थना पर महादेव ने उस विष को हथेली पर रख पी लिया लेकिन उसे कंठ से नीचे नहीं उतरने दिया। इसी के बाद उन्हें नीलकंठ भी कहा जाने लगा।
शिवरात्रि के मौके पर लोग शिवलिंग पर दूध भी चढ़ाते हैं। दूध के अलावा, पानी, दही, शहद, चीनी, घी, बेलपत्र, भांग की पत्तियां और चंदन का पेस्ट भी शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है।