धर्मशाला: सेटलमेंट आफिस धर्मशाला के तहत चंबा जिला भी आता है। चंबा में ६७ साल बाद जमीन का बंदोबस्त शुरू हो गया है। पिछले साल चंबा सदर और सलूणी में संशोधित राजस्व अभिलेख तैयार करने के लिए मंजूरी मिली थी। इनमें कुल 23 गांव सिलेक्ट किए गए हैं। इस महामुहिम के शुरूआती चरण में तीन गांवों मांडू, त्रकड़ बाड़वा व चंबी में पटवारियों व कानूनगो की टीम इस कार्य में जुट गई है। नए डाक्यूमेंट्स की बात करें, तो जमीन की संशोधित जमाबंदी को नए सिरे से बनाना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य होता है।
इसी तरह ल_े, मुसाबी व मौमी भी कड़ी मशक्कत के बाद दोबारा से बनेगी। मौके पर जमीन को देखकर लोगों की आपत्तियां व राय लेकर यह काम किया जाएगा। कुल २४ गांवों की बात करें, तो इसमें २४९२० खसरा नंबरों को खंगाला जाना है। इसमें ११२९०२ बीघा यानी २२५८४० कनाल की पैमाइश से लेकर राजस्व रिकार्ड तैयार किया जाना है। कांगड़ा में जहां जमीन की पैमाइश में कनाल इकाई को लिया जाता है, जबकि चंबा में बीघा से इसकी नपाई की जाती है। भू-व्यवस्था अधिकारी कार्यालय कांगड़ा मंडल ने पिछले एक साल में इसके लिए पूरी योजना बनाकर प्रक्रिया शुरू करवाई है। पिछले साल जनवरी माह में इन २४ गांवों को संशोधित राजस्व अभिलेख तैयार करने के लिए चिन्हित कर लिया था। गौर रहे कि हिमाचल में इससे पहले १९५२ से लेकर ७० तक चंबा, मंडी और कांगड़ा जिलों में सेटलमेंट हुई है।
इन गांवों में सेटलमेंट
संशोधित राजस्व अभिलेख तैयार करने के लिए सालग, उदयपुर, सुल्तानपुर, गजनुई, मुगला, मांडू, कुठेहड़, कैला, चंबी, जडेरा, गौहंड, धार का चयन हुआ है। इसके अलावा त्रकड़ बाड़वा, सनौथा, मेहड़, कियाणी, राजनगर, भूमण, ऐरवान, लोहानी, जलाई, धनावल, थलौगा, ब्राहण भी इसमें शामिल है।
चंबा जिला के सिलेक्ट 23 गांवों में जमीन का बंदोबस्त शुरू करवा दिया है। अभी तीन गांवों में यह प्रक्रिया शुरू करवाई है। यह कार्य युद्धस्तर पर करवाया जाएगा। इसके लिए टीम कार्य में जुट गई है
गंधर्वा राठौड़, सेटलमेंट आफिसर, धर्मशाला