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सहकारिता आंदोलन की मुहिम इस बार क्यों थम गई, साढ़े पांच लाख मेंबर्स मायूस

मोनिका शर्मा, धर्मशाला

पूरे प्रदेश मेें अमूमन 14 से 20 नवंबर तक सहकारिता सप्ताह मनाया जाता है। इस अवधि में लाखों ग्रामीणों को सहकारिता से जोडऩे के लिए मुहिम चलती है। इस दौरान सहकारी समितियों से नए सदस्य जोड़े जाते हैं। साथ ही उन्हें खेती से जुड़ी सहकारी योजनाएं बताई जाती हैं। सहकारिता आंदोलन के इतिहास से लोगों को अवगत करवाकर इससे जोड़ा जाता है, लेकिन ग्रामीण आर्थिकी में मनरेगा के बाद सबसे बड़ा रोल अदा करने वाले सहकारिता आंदोलन की यह मुहिम इस बार थम सी गई है। इसका कारण विधानसभा चुनावों के लिए लगा कोड ऑफ कंडक्ट है।

आगामी 8 दिसंबर को विधानसभा चुनावों का रिजल्ट है। इस कारण सहकारिता सप्ताह नहीं हो रहा है। जिला भर में 1028 प्राथमिक सहकारी सभाएं हैं। इसके अलावा 15 वरिष्ठ सहकारी सभाएं हैं। ऐसे में प्राथमिक सहकारी सभाओं की संख्या 1043 है। जिला भर मेें इन सभाओं से 5 लाख 44 हजार 174 मेंबर जुड़े हुए हैं।

इन सभाओं की पूंजी की बात की जाए, तो यह 11 लाख 10 हजार 838 लाख बनती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सहकारिता आंदोलन का जिला में किसानों, ग्रामीणों और खेती को आगे ले जाने में कितना बड़ा रोल है। ग्रामीण राजीव, मोनिका, विजय, राकेश कहते हैं कि इन सभाओं में आसानी से ऋण मिल जाता है। कुछ शर्तें पूरी करने पर कर्ज मिलने से वे अपने काम को आगे बढ़ा पा रहे हैं।
जिला में कृषि सहकारी सभाएं
जिला में इन सभाओं का वर्गीकरण किया जाए,तो कृषि सहकारी सभाओं की संख्या ही 604 बनती है। इसके अलावा गैर कृषि ऋण सभाएं 55 हैं। दुग्ध सभाएं 18 हैं। उपभोक्ता भंडार 41 हैं। बुनकर सभाएं 38 हैं। औद्योगिक सभाएं भी हैं। इनकी संख्या 39 है। इसके अलावा अन्य सभाएं भी हैं।
अब खेती के उपकरण भी
सहकारी सभाओं में अब किसानों को कर्ज के अलावा खेती से जुड़े उपकरण भी दिए जा रहे हैं। किसान श्याम, रवि, बंटू कहते हैं कि पावर टिल्लर, वीडर, हल, कटर, ब्रशर आदि उपकरण सहकारी सभाओं के कारण ही उनके पास आसानी से पहुंच पाते हैं। पहले किसानों को बड़ी मार्केट में जाना पड़ता था। कई बार नकदी न होने से वे ऐसा नहीं कर पाते थे, लेकिन अब सभाओं में नकदी न होने पर आसानी से ऋण केस बन जाता है।

नई सरकार से उम्मीद
किसान विक्रम, कश्मीर, अनिल कहते हैं कि नई सरकार को सहकारिता सप्ताह के लिए नया शेड्यूल बनाना चाहिए। सरकार बनने के बाद जनवरी या फरवरी में यह आयोजन किया जा सकता है। इससे कोड आफ कंडक्ट में हुए नुकसान की भरपाई हो पाएगी।

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