हिमाचल प्रदेश में अधिकतर क्षेत्रों में अच्छी सड़कें हैं, लेकिन कई वाहन चालक नियमों का पालन नहीं करते। राज्य में अधिकतर स्थानों पर चेतावनी संकेतक हैं लेकिन बड़ी संख्या में चालक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं। यही कारण है कि सड़क किनारे चलने वाले लोग भी असुरक्षित हैं और वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका भी अधिक रहती है। गति सीमा का पालन करने वाले कम ही हैं जबकि चौराहों पर दिशासूचकों की भी अनदेखी की जाती है। दिन के समय व्यस्ततम चौराहों पर पुलिस या होमगार्ड के जवान तैनात रहते हैं लेकिन रात को अपने जोखिम पर ही वाहन चलाने पड़ते हैं।
लोक निर्माण विभाग के पुल एवं सड़क निर्माण विंग ने 6200 और एनएच विंग ने 2450 संकेतक राज्य के सभी जिलों में लगाए हैं। विभाग ने 31 मार्च तक लगाए संकेतकों की जानकारी दी गई है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ)ने फोरलेन और एनएचएआइ की ओर से संचालित होने वाले एनएच पर प्रदेश में दो हजार संकेतक लगाए गए हैं। राज्य परिवहन विभाग की ओर से भी सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए लोक निर्माण विभाग को निर्देशित कर संकेतक लगवाए गए हैं।
राजधानी का हाल
राजधानी शिमला में रजत होटल के साथ ओक ओवर मार्ग पर और चौड़ा मैदान में दो स्पीडोमीटर लगाए हैं। इन क्षेत्रों में 30 किमी प्रति घंटा से अधिक की गति से वाहन नहीं चला सकते। गति सीमा निर्धारित करने के लिए लगाई स्पीडोमीटर मशीनें चेतावनी देती हैं, मगर वाहन चालक मनमानी करते हैं। परवाणू से शिमला के लिए बन रहे फोरलेन का काम कैथलीघाट तक पूरा हो चुका है। देखने में आता है कि ट्रक एक लेन से दूसरी लेन में प्रवेश करते समय पलट जाते हैं। चार दुर्घटना स्थलों में चालकों को वाहन निर्धारित गति सीमा के भीतर चलाने के लिए संकेतक लगाए हैं, लेकिन चालक उन्हें गंभीरता से नहीं लेते हैं। कई जगह अंधे मोड़ हैं और उससे पहले संकेतक भी लगाए गए हैं, लेकिन उनकी भी अनदेखी की जाती है। शोघी से तारादेवी, ढली से कुफरी और शिमला से घणाहट्टी तक धुंध रहती है। इन सड़कों पर कई जगह चालकों को धीरे चलने के लिए संकेतक लगाए गए हैं। उनमें लिखा रहता है कि वाहनों की लाइट जलाकर धीमी गति से आगे बढ़ें, लेकिन फिर में वाहनों की आमने-सामने टक्कर होने के मामले आते हैं। ऐसे स्थानों पर वाहन संकेतकों को नजरअंदाज करना कई बार भारी पड़ चुका है।
रात को व्यवस्था रामभरोसे
प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों पांवटा साहिब से लेकर परवाणू, बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ और ऊना में सुबह आठ बजे से रात्रि आठ बजे तक तो पुलिस, होमगार्ड के जवान वाहनों की होने वाली दुर्घटनाएं रोकने के लिए ड्यूटी देते हैं, लेकिन उसके बाद सुबह तक सड़क पर वाहन बेलगाम दौड़ते हैं। कई ऐसे व्यस्त चौराहे भी हैं, जहां दिन में भी यातायात को सुचारू बनाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है
रेस्टिंग प्लेस भी नहीं
प्रदेश की सड़कों पर राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहन चालकों को थकान मिटाने के लिए रेस्टिंग प्लेस नहीं बन पाए हैं। हालांकि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के तहत बनने वाले मार्गों के किनारे रेस्टिंग प्लेस बनाने की व्यवस्था बनाई गई है। ऐसे में लंबी दूरी का सफर करने वाले चालकों व यात्रियों को रुक कर आराम करने के लिए स्थान की उचित व्यवस्था नहीं हो पाई है। थकान व नींद पूरी न होने के कारण कई बार हादसे होते रहे हैं।