संतोष कुमारी, हमीरपुर।
हिमाचल में लंपी वायरस का कहर जारी है। प्रदेश में अब तक लंपी वायरस से 4567 पशुओं की मौत हो चुकी है। जबकि 83,790 पशु अब तक इस बीमारी का शिकार हो चुके हैं। वहीं, ऐसे पशुओं की संख्या भी काफी अधिक होने की आशंका जताई जा रही है, जिनको उपचार नहीं मिल सका है और न ही उनकी मौत का कारण सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हैं ।
जिला भर में लंपी वायरस की मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है जिसको देखते हुए विभाग भी सतर्क गया है और सरकार की दिशा निर्देशानुसार पशुओं को लंपी वायरस से बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। अभी तक जिला में लंपी वायरस के 2713 मामले सामने आ चुके हैं और इनमें से 143 की मौत हो चुकी है और 1964 पशु ठीक हो चुके है ।
उप निदेशक पशु स्वास्थ्य प्रजनन हमीरपुर डॉ मनोज कुमार ने बताया कि लंपी वायरस ग्रसित पशुओं के रखरखाव के लिए वह उनके इलाज के लिए विभाग द्वारा पूरी सतर्कता के साथ काम किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि अभी तक लंपी वायरस की चपेट में 2713 पशु आ चुके हैं । वही 143 पशुओं की मौत हो चुकी है। जबकि 1964 पशुओं को वायरस से बचा लिया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार और हिमाचल सरकार द्वारा जो भी गाइडलाइन जारी किए गए हैं उनके अनुसार पशुओं की देखरेख वह उपचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा रोजाना कितने पशु वायरस ग्रसित हो रहे हैं और कितने की मृत्यु और कितने रिकवर हो रहे हैं उनका डाटा तैयार किया जा रहा है।
उपनिदेशक डॉ. मनोज कुमार ने कहां कि पशु पालको को अपने पशु को इस बीमारी से बचाने के लिए एक दूसरे पशुओं का खाया हुआ घास न दे । पशुओं को खुला न छोड़ें और जो पशु बीमार हो गए हैं उन्हें अन्य पशुओं से दूर रखें उन्होंने कहा कि यह वायरस एक दूसरे के संपर्क में आने से होता है। उन्होंने कहा कि अगर कोई भी पशु लंपी वायरस से ग्रसित होता है तो वह विभाग से तुरंत संपर्क करें ताकि पशु का समय पर उपचार शुरू हो सके।