कांगड़ा जिला के फतेहपुर हल्के के दिग्गज कांग्रेसी नेता स्वर्गीय सुजान सिंह पठानिया 1977 से लेकर 2021 तक सात बार विधायक और प्रदेश की कांग्रेस सरकारों में कई विभागों के मंत्री रहे।
वे जब तक जीवित रहे, उनके बेटे भवानी सिंह पठानिया राजनीति से कोसों दूर रहे। 11 फरवरी 2021 को जब 78 साल की उम्र में उनका निधन हुआ तो फतेहपुर की स्थानीय जनता और कांग्रेस पार्टी के अनुरोध पर आकर्षक पॅकेज वाला कॉर्पोरेट का करियर छोड़ कर भवानी सिंह पठानिया अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए सियासी मैदान में उतरे और फतेहपुर के उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर अपने पहले ही चुनाव में चुस्त नेतृत्व क्षमता और कुशल चुनाव प्रबंधन से सत्तासीन भाजपा के उम्मीदवार बलदेव ठाकुर को 5789 मतों से पछाड़ कर विधानसभा पहुंचे।
सेल्ज एग्जिक्यूटिव से कंट्री हैड तक
भवानी सिंह पठानिया ने अपने हुनर के दम पर थोड़े से समय में कॉर्पोरेट सेक्टर में बड़ा नाम और मुकाम हासिल किया। कॉर्पोरेट सेक्टर में कड़ा संघर्ष करके भवानी सिंह पठानिया पंजाब नेशनल बैंक मेटलाइफ के सेल्ज डिपार्टमेंट में डायरेक्टर बने। सेल्ज एजेंसी के कंट्री हैड होने के नाते उनको दुनिया भर के कई देशों में काम करने का अवसर मिला।
टूथब्रश और साबुन तक बेचा
भवानी सिंह पठानिया बताने में कोई झिझक महसूस नहीं करते हैं कि उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत बलसारा का टूथपेस्ट बेचने से की थी। उन्होंने किसी दौर में विप्रो का साबुन और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के क्रेडिट कार्ड तक सेल किए। वे 13 साल आईसीआई प्रडेशियल इंश्योरेंस, फिर इसी कंपनी के बैंक से जुड़े रहे।
बीसीएस शिमला से स्कूली पढ़ाई
भवानी सिंह पठानिया का जन्म 20 अगस्त, 1974 को फतेहपुर निवासी सुजान सिंह पठानिया और माता रबिंद्र पठानिया के घर हुआ। उनकी बचपन की पढ़ाई शिमला में हुई। छठी से 12वीं तक बीसीएस शिमला से करने के बाद शहीद भगत सिंह कॉलेज नई दिल्ली से बीकॉम किया और मैनेजमैंट टेक्नोलॉजी संस्थान गाजियाबाद से एमबीए की।
सहपाठी बन गई जीवन संगनी
भवानी सिंह पठानिया ने एमबीए की पढ़ाई के समय सहपाठी रही चंडीगढ़ की अर्चना को अपनी जीवन संगिनी बनाया। उनके दो बेटे सागर प्रताप सिंह और आदित्य प्रताप सिंह पठानिया हैं, जो पढ़ाई कर रहे हैं। भवानी सिंह पठानिया की एक बहन मोनिका राठौर है, जिसकी शादी हो चुकी है।