हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) शिमला में पूर्व छात्र समागम में अभिनेता अनुपम खेर भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि पहली बार यह देखा है कि 38 प्रतिशत अंक लेने वाले को भी इतना सम्मान मिला। इससे पहले जब मां दुलारी के बारे में बताया तो भी उनकी आंखें नम हो गईं थी
अनुपम खेर ने कहा कि ईमानदारी से खुले आसमान में देखे गए सपने को मेहनत के साथ पूरा करने का प्रयास करो तो कोई भी आगे आने से नहीं रोक सकता। छोटे से शहर ने मुझे बड़ा सपना दिया। इसे मैंने आज पूरा किया। पूरे सफर में मां ने मेरा साथ दिया। जब बीए तृतीय वर्ष की परीक्षा पास की तो विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में दाखिला हो गया। दाखिला अंकों के आधार पर नहीं मिला था, बल्कि नाटक का मंचन करते था तो मिला था। मन में कुछ और करने की इच्छा थी, इसलिए तत्कालीन कुलपति प्रो. आरके सिंह के पास गया और साफ कहा कि आप मुझे दाखिला मत दो। उन्होंने कहा था कि मैं शिक्षक हूं और मैं आपकी एडमिशन रद नहीं कर सकता।
मां के मंदिर से 100 रुपये लेकर आडिशन देने गया था
अनुपम खेर ने कहा कि मां के मंदिर में रखे 108 में से 100 रुपये चुरा लिए। घर में पिकनिक का बहाना बनाकर पंजाब विश्वविद्यालय में आडिशन देने चला गया। कुछ दिन बाद पिताजी आए और पूछा कि कहां गया था तो सच बता दिया। पैसों के बारे में भी बता दिया। मां ने मुझे एक झापड़ लगाया। उस दिन मैंने पिताजी से कहा था कि फिल्म में नहीं जाऊंगा, जहां आप बोल रहे हैं वहीं पढ़ाई करूंगा। मां से कहा कि पैसे चोरी नहीं करूंगा। इस पर पिताजी ने कहा कि तुम्हारा सिलेक्शन हो गया है और 200 रुपये स्टाइपेंड मिलेगा।
बंद घड़ी भी दो बार सही समय बताती है
अनुपम खेर ने कहा कि मैं पूरी तरह से सकारात्मक सोच रखता हूं। विश्वविद्यालय के सभागार में लटकी घड़ी की तरफ इशारा करते हुआ कहा कि यह घड़ी बंद है। यह शायद इसलिए हुई है कि आज समय यहीं रुक जाना चाहिए। सकारात्मक सोच रखनी चाहिए क्योंकि बंद घड़ी भी दिन में दो बार सही समय बताती है।