उपमंडल के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में भाद्रपद मास के उपलक्ष्य पर होने वाले शनिवार के मेले 20 अगस्त से शुरू होंगे। इन मेलों को लेकर मंदिर कमेटी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार महाकाल में कुल चार शनिवार के मेले होंगे। मेले के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर ट्रस्ट द्वारा सारे प्रबंध किए जाएंगे। इसके अलावा हर शनिवार को सामुदायिक भवन महाकाल में भंडारे का भी आयोजन होगा। हालांकि इस बार मेलों के दौरान महाकाल मंदिर में बने स्नान कुंड में श्रद्धालुओं को नहाने में दिक्कत आ सकती है। क्योंकि महाकाल मंदिर के मुख्य स्नान कुंड और मंदिर के चारों तरफ बने कुंडों में कुछ समय से पानी के साथ काफी मात्रा में शैवाल भी निकल रहा है।
इन कुंडों में प्राकृतिक रूप से धरती के नीचे से ही पानी आता है। समस्या के निपटान के लिए मंदिर प्रशासन में कुछ विशेषज्ञों की भी मदद ली थी। लेकिन अब इस पानी को साफ करने के लिए तकनीकी रूप से ही काम होगा। यह काम मेलों के बाद ही संभव हो पाएगा। मंदिर कमेटी के कर्मचारी राकेश बख्शी ने बताया कि इस बार यहां चार मेले आयोजित होंगे। इनमें पहला मेला 20 अगस्त, दूसरा मेला 27 अगस्त, तीसरा मेला 3 सितंबर तथा अंतिम मेला 10 सितंबर को होगा। मंदिर के पुजारी पंडित राम मिश्रा ने बताया कि महाकाल में भाद्रपद महीने के शनिवार के मेलों का विशेष महत्व है। यहां महाकाल और शनि भगवान के साथ मां दुर्गा का मंदिर है। यहां पर शनि ग्रह की साढ़ेसाती से मुक्ति मिलती है। साथ ही बाबा महाकाल की पूजा अर्चना करने से अकाल मृत्यु का भय भी दूर होता है।
क्या होता है भाद्रपद मास
भाद्रपद मास का अर्थ के अच्छे और सुखद परिणाम देने वाले देवताओं का महीना। इस माह में लोग व्रत एवं उपवास,नियम तथा निष्ठा की पालना करना सीखते हैं। मुख्य रूप इस माह को भगवान गणेश जी के माह के रूप में मानते हैं और श्री गणेश की उपासना होती है। महीने में पवित्र नदियों में स्नान करना और जरूरतमंदों को दान देना चाहिए। इस महीने में स्वात्विक भोजन करना चाहिए और गाय के दूध का सेवन करना चाहिए।