न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि दूसरी पत्नी किसी भी सूरत में पारिवारिक पेंशन की हकदार नहीं है। बिलासपुर निवासी दुर्गी देवी की याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने यह निर्णय सुनाया।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पारिवारिक पेंशन के मामले में महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि दूसरी पत्नी किसी भी सूरत में पारिवारिक पेंशन की हकदार नहीं है। बिलासपुर निवासी दुर्गी देवी की याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने यह निर्णय सुनाया। दिवंगत भोला राम वर्ष 1983 में पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त हुआ था। वर्ष 2002 में उसकी मृत्यु हो गई थी। भोला राम ने सरकारी रिकॉर्ड में दूसरी पत्नी को पारिवारिक पेंशन के लिए दर्ज करवाया था। हालांकि, पहली पत्नी रामकु देवी ने पारिवारिक पेंशन के लिए विभाग के पास दावा किया।
मामले में जांच के बाद विभाग ने पाया कि रामकु देवी भोला राम की पहली और कानूनी रूप से विवाहित पत्नी थी। इस आधार पर रामकु देवी को पारिवारिक पेंशन स्वीकृत और भुगतान की गई। पहली अगस्त, 2015 को रामकु देवी की भी मृत्यु हो गई थी। याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि पहली पत्नी की मृत्यु के बाद उसके अलावा पारिवारिक पेंशन के लिए कोई अन्य दावेदार जीवित नहीं है। मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन के बाद अदालत ने कहा कि मृतक ने पहली शादी के निर्वाह के दौरान याचिकाकर्ता से शादी की थी। पारिवारिक पेंशन के लिए याचिकाकर्ता को दूसरी पत्नी के तौर पर हकदार नहीं ठहराया जा सकता।