राहत
धर्मशाला: कांगड़ा जिले में आपदा प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत 45 सूचीबद्व पुनरुद्धार कार्यों के लिए 57 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। यह जानकारी उपायुक्त डा निपुण जिंदल ने देते हुए बताया कि मानसून सीजन में भारी बारिश के कारण आपदा आने पर सरकार ने पंचायतों-गांवों में अधिक से अधिक पुनरुद्धार कार्य मनरेगा के तहत करने के निर्देश दिए गए थे , ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे को पुनः विकसित किया जा सके। उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिला की 15 विकास खंडों की 506 पंचायतों से आपदा से प्रभावित 4194 कार्यों की सूची भेजी गई थी जिसे स्वीकृति प्रदान की गई है।
ग्रामीण स्तर पर पूर्णउद्धार कार्यों के लिए तत्परता से करें कार्य
उन्होंने कहा कि आपदा से जुड़े मनरेगा कार्यों के लिए ग्राम सभा के प्रस्ताव की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए खंड विकास अधिकारी कार्यालय में सीधे आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिला में आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में राहत तथा पुनर्वास के लिए तत्परता के साथ कार्य किया जा रहा है तथा सभी विकास खंड अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि ग्रामीण स्तर पर पूर्णउद्धार कार्यों के लिए पंचायत स्तर पर सभी को जागरूक करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभांवित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि डीआरडीए के परियोजना अधिकारी को निर्देश दिए कि वे हर 15 दिन में मनरेगा में पुनरुद्धार कार्यों को लेकर समीक्षा करें। मनरेगा मस्टरोल, सामान खरीद जैसी व्यवहारिक समस्याओं के समाधान के लिए कार्य करें।
पीडब्ल्यूडी, कृषि, जलशक्ति, विद्युत विभाग में 287 करोड़ का नुक्सान
कांगड़ा जिला में भारी बारिश से लोक निर्माण विभाग को 83 करोड़ जिसमें 397 मार्ग क्षतिग्रस्त हुए हैं। जलशक्ति विभाग को 146 करोड़ इसमें 571 पेयजल योजनाएं बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हुई हैं। विद्युत विभाग को 16 करोड़ तथा कृषि विभाग को 34 करोड़ का नुक्सान हुआ है। कृषि विभाग के तहत इंदौरा तथा फतेहपुर में किसानों को सबसे ज्यादा नुक्सान हुआ है, शिक्षा विभाग को आठ करोड़ के करीब नुक्सान का आकलन किया गया है।
ग्रामीण स्तर पर तैयार किए जाएंगे आपदा मित्र
डीसी ने कहा कि आपदा से बचाव के लिए ग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधन कमेटियां गठित की जा रही हैं तथा इस दिशा में महिला मंडलों, पंचायत प्रतिनिधियों, युवक मंडलों को आपदा मित्र के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि आपदा के समय राहत तथा पुनर्वास के कार्यों को त्वरित प्रभाव से आरंभ किया जा सके और नुक्सान को भी कम करने में मदद मिल सके।