मणिमहेश यात्रा
इस साल होने वाली मणिमहेश यात्रा श्रद्धालुओं को ठंड के मौसम में करनी पड़ेगी। सितंबर में धन्छौ से लेकर डलझील तक काफी ठंड हो जाती है। बारिश के दौरान डल झील में बर्फबारी होने की भी संभावना रहती है। इसलिए इस बार मणिमहेश यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं का परिश्रम होगा। पिछले साल जहां जन्माष्टमी का न्हौण 20 अगस्त को था।
वहीं इस बार जन्माष्टमी का न्हौण छह और सात सितंबर को होगा। जबकि राधाष्टमी का न्हौण 23 सितंबर को होगा। अगस्त में होने वाली मणिमहेश यात्रा को गर्म यात्रा के नाम से जाना जाता है। जबकि सितंबर में होने वाली यात्रा को ठंडी यात्रा के नाम से जाना जाता है। इस बार मणिमहेश यात्रा के दौरान ठंड श्रद्धालुओं की परीक्षा लेगी। ठंड के कारण श्रद्धालुओं को कई प्रकार की कठिनायों का भी सामना करना पड़ सकता है।
हालांकि प्रशासन की तरफ से मणिमहेश यात्रा के पडावों पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्वास्थ्य जांच शिविर सहित अन्य सहायता शिविर लगाए जाते हैं। जहां पर श्रद्धालु जरूरत पड़ने पर मदद के लिए संपर्क कर सकते हैं। हर साल मणिमहेश यात्रा का संजोग अलग-अलग रहता है। जो शुभ मुहूर्त के अनुसार तय होता है। इस बार छोटा और बड़ा शाही स्नान सितंबर में होंगे।