एनआईटी हमीरपुर
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) हमीरपुर शुरू से अपने कुछ निर्णयों के कारण सुर्खियों में रहा है। चाहे वो चहेतों को नौकरी देने का मामला हो या फिर प्रोफेसर को असिस्टेंट प्रोफेसर के द्वारा धमकाने का मामला। अपने गलत फैसले के कारण दो साल पहले एनआईटी हमीरपुर के निदेशक बर्खास्त भी हो चुके हैं। बीते माह रात के समय एनआईटी के छात्रों के दो गुटों में लोहे की रॉड, पत्थरों और ईंट से हमले का मामला भी सुर्खियों में रहा। अब ताजा तरीन मामले के तहत एनआईटी हमीरपुर की डिस्पेंसरी में आउटसोर्स पर सेवाएं दे रही स्टाफ नर्सों की ड्यूटी संस्थान प्रशासन के निर्देश पर कंपनी प्रबंधन ने छात्रावास में लगा दी है। जबकि अनुबंध पर तैनात यहां के चिकित्सकों की केवल दिन के समय डिस्पेंसरी में ड्यूटी रहती है।
अब सवाल यह उठता है कि स्टाफ नर्सें बिना चिकित्सक के रात्रि समय में किस तरह सेवाएं देंगी। क्योंकि बिना चिकित्सक के परामर्श के पैरा मेडिकल स्टाफ किसी मरीज को कोई दवाई तक नहीं दे सकता। जबकि पूर्व में कभी भी स्टाफ नर्स की ड्यूटी छात्रावास में नहीं लगी। छात्रावास में केवल हॉस्टल वॉर्डन और हॉस्टल अटेडेंट ही रहते हैं। छात्रावास में बिना चिकित्सक के ड्यूटी न देेने पर कुछ स्टाफ नर्सों को कंपनी प्रबंधन ने संस्थान के निर्देश पर कारण बताओ नोटिस भी भेज दिए हैं। पूर्व में संस्थान में बीटेक के एक छात्र की अकस्मात मौत भी हो चुकी है। परिजनों ने समय पर उपचार न मिलने और उपचार में लापरवाही के आरोप लगाए थे।
छात्र की मौत पर परिजनों ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय से लेकर सीबीआई और हिमाचल पुलिस से जांच की गुहार लगाई थी। कई महीनों तक छात्र की मौत को लेकर बवाल रहा। सुरक्षाकर्मियों का भी यहां से दूसरी जगह तबादला करने पर पूर्व में खूब बवाल हुआ। उधर, एनआईटी हमीरपुर के निदेशक प्रो. एचएम सूर्यवंशी ने कहा कि छात्रावास में छात्र-छात्राओं की सुविधा के लिए इस तरह का निर्णय लिया गया है। वैसे भी यह स्टाफ नर्सें आउटसोर्स पर हैं।