बेमौसमी बारिश
दो महीने से बदले मौसम के तेवरों से हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में आम और लीची समेत अन्य फलों को खासा नुकसान पहुंचा है। इस साल पहले फ्लावरिंग के समय बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि ने बागवानों की बंपर फसल की उम्मीदों को झटका दिया। फिर फ्रूट सेटिंग के दौरान नमी से आम के बौर काला पड़ने शुरू हो गए और अब तेज आंधी-तूफान ने बागवानों को पूरी तरह हिला दिया है। हालांकि, इस बार मौसम की बेरुखी से आम की फसल को हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है। मगर एक मोटे अनुमान के मुताबिक जिले में करीब 50 फीसदी आम की फसल बर्बाद हो चुकी है। इससे मैदानी इलाकों के बागवानों में मायूसी है।
इस साल ऑन ईयर में आम के बगीचों में अच्छी फ्लावरिंग हुई थी। ऐसे में करीब 24 हजार मीट्रिक टन आम उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा था। मगर मौसम की बेरुखी ने आम के उत्पादन में अग्रणी खासकर मैदानी इलाकों के बागवानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उद्यान विभाग के मुताबिक जिला कांगड़ा में 41,700 हेक्टेयर भूमि में फलों का उत्पादन होता है। इसमें करीब 21,000 हेक्टेयर भूमि में सिर्फ आम की फसल होती है। इसके अलावा 2712 हेक्टेयर में लीची, 9465 हेक्टेयर में नींबू प्रजाति, 812 हेक्टेयर में अखरोट, 454 हेक्टेयर में सेब और करीब 2 हजार हेक्टेयर भूमि में अमरूद, आंबला और पपीते की खेती होती है।
आम का गढ़ कहे जाने वाले नूरपुर क्षेत्र में 3,774 हेक्टेयर भूमि पर आम की पैदावार होती है। नूरपुर क्षेत्र के अग्रणी बागवानों में मुकेश शर्मा, सूरम सिंह, सुदर्शन शर्मा, मनोज पठानिया, दलजीत पठानिया, उपेंद्र सिंह, ऋषि पठानिया, प्रीतम मन्हास, कुलजीत राणा आदि ने बताया कि पहले बारिश और ओलावृष्टि से फसल को खासा नुकसान पहुंचाष अब रही सही कसर तेज आंधी-तूफान ने पूरी कर दी है। उन्होंने सरकार से सेब की तर्ज पर आम की फसल को हुए नुकसान का आकलन कर मुआवजा देने की गुहार लगाई है। उद्यान विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलशील नेगी ने कहा कि बेमौसमी बारिश से आम की फसल को हुए नुकसान का आंकलन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बागवान आम की फसल को बीमारियों से बचाव के लिए दो सप्ताह के अंतराल पर दवाओं के छिड़काव करें। कांगड़ा जिले में आम उत्पादन वर्ष क्षेत्र (हेक्टेयर) उत्पादन (मीट्रिक टन) 2019-20-21455-15287 2020-21-21484-19524 2021-22-21534-19611 2022-23-21534-20166