प्रदेश व उत्तरी भारत
प्रदेश व उत्तरी भारत की पहली हर्बल मंडी बंद हो गई है। बीते एक वर्ष में इसमें न तो किसानों ने कोई जड़ी-बूटी को मंडी में पहुंचाया है तथा न ही सरकार के आयुर्वेद विभाग ने इस हर्बल मंडी की उन्नति के लिए कारगर कदम उठाए हैं। आलम यह है कि हर्बल उत्पादों के इस मंडी में न पहुंचने के कारण हिमाचल राज्य की पहली यूनिक मंडी अब लगभग बंद हो गई है। हर्बल मंडी को सोलन जिला के बनलगी (कुठाढ़) में खोला गया है। बनलगी में सब्जी मंडी 1984 में चालू की गई थी, किंतु एक वर्ष के भीतर ही यह बंद हो गई।
कृषि उपज मंडी समिति सोलन ने करीब डेढ़ वर्ष पूर्व बनलगी में बंद पड़ी मंडी को नया रूप देकर इसे प्रदेश की पहली हर्बल मंडी में बदलने का निर्णय लिया। हिमाचल राज्य में सतबरी, आंवला, हरड़, बेहड़ा, अश्वगंधा, बिच्छू बूटी, सफेद मूसली, कढ़ी पत्ता, तुलसी प्राकृतिक तौर पर पाई जाती है। इसके अतिरिक्त छोटे स्तर पर किसान भी इन जड़-बूटियों का उत्पादन कर रहे हैं। प्रदेश के सिरमौर, चंबा, लाहुल-स्पीति, शिमला, सोलन, किन्नौर इत्यादि जिलों में हर्बल पौधे पाए जाते हैं तथा कुछ स्थानों पर किसान भी इसका उत्पादन करते हैं।