कर्मचारी
हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्थान (हिपा) मशोबरा में एक कर्मचारी दो महीने से काम कर रहा था। उसने दो महीने पूरी मेहनत और लगन से काम किया। लेकिन जब तनख्वाह की बारी आई तो तनख्वाह देने से मना कर दिया की अब उसके लिए उनके पास पैसे नहीं।
हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्थान (हिपा) मशोबरा में एक कर्मचारी से दो महीने तक काम लिया गया और अब जब वेतन देने की बारी आई तो कहा जा रहा है कि वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं। यह हाल आईएएस और एचएएस अधिकारियों को प्रशिक्षण देने वाले संस्थान हिपा के हैं। हिपा में लगभग दस वर्षों से हुडको चेयर प्रोजेक्ट के तहत काम करने वाले एक कार्यालय सहायक को दो महीने से वेतन नहीं दिया जा रहा है।
हुडको चेयर के अलावा इस संस्थान के अन्य अत्यावश्यक कार्य करते इस कर्मचारी ने हिपा में तैनात उप नियंत्रक वित्त, निदेशक हिपा और सचिव प्रशिक्षण को अपने अधिवक्ता के माध्यम से लीगल नोटिस दिया है कि क्यों न उनके ऊपर उच्च न्यायालय की अवमानना दायर न किया जाए। हिपा में काम करने वाले इस कर्मचारी का कहना है कि उसे सभी तरह का काम करने के आदेश दिए गए हैं और जब वेतन की बात हो रही है तो यह कहा जा रहा है कि प्रोजेक्ट में उनके पास पैसे नहीं हैं।
यह सरासर बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन है और संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध है, क्योंकि कहीं भी ऐसा नहीं होता है कि उनसे काम पहले लिया जाए और बाद में वेतन के लिए पैसों की कमी का हवाला दिया जाए। अधिवक्ता की ओर से दिए नोटिस में कहा गया है कि यह सब तब किया जा रहा है, जब यह कर्मचारी कोर्ट के आदेश से स्टे ऑर्डर पर हैं और प्रोजेक्ट के अलावा हिपा के अन्य काम कर रहा है।
वर्ष 2019 में हुडको प्रोजेक्ट का पहला फेज पूरा होने के बाद बर्खास्तगी का नोटिस दिया गया था, जिस पर आज तक उच्च न्यायालय की रोक है। इससे अदालत के आदेशों की भी अवमानना हो रही है। हिपा के निदेशक रुग्वेद ठाकुर का कहना है कि अभी यह प्रोजेक्ट बंद है। जब यह शुरू होगा तो कर्मचारी की सेवाएं ली जा सकती हैं। सचिव प्रशिक्षण सी पाल रासू ने बताया कि वह अभी शिमला से बाहर हैं तो इस बारे में कुछ खास बात नहीं कर सकेंगे।