मांगों के समर्थन में शुक्रवार को किसान-बागवान सड़कों पर उतर गए। संयुक्त किसान मंच के बैनर तले शिमला में आक्रोश रैली निकाली। कई संगठनों के पदाधिकारी व सदस्य आक्रोश रैली में शामिल हुए। सेब कार्टन व ट्रे पर छह प्रतिशत की वस्तु एवं सेवा कर छूट को पाने के लिए शर्तों को सरल बनाने व सेब का समर्थन मूल्य जम्मू कश्मीर की तरह 24 रुपये प्रति किलो करना उनकी प्रमुख मांगे हैं। कांग्रेस नेता व कार्यकर्ता भी किसान-बागवानों के आंदोलन में शामिल हुए हैं। सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। बागवानों का कहना है कि 10 रुपये प्रतिकिलो से अधिक तो सेब उत्पादन में मजदूरी की लागत आती है।
ऐसे में न्यूनतम समर्थन मूल्य में एक रुपये की बढ़ोतरी मजाक है। शुक्रवार सुबह किसान-बागवान नवबहार के पास एकत्र हुए। यहां से राज्य सचिवालय के लिए पैदल मार्च शुरू किया। जैसे-जैसे काफिला आगे बढ़ता गया, किसान-बागवानों के साथ-साथ राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता इसमें जुड़ते गए। संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान व सह संयोजक संजय चौहान ने कहा कि यह आक्रोश रैली किसान-बागवानों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए है। बीस सूत्रीय मांगपत्र सरकार को सौंपा था। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मंच के पदाधिकारियों की बातचीत हुई थी।
तय हुआ था कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली हाईपावर कमेटी में बागवानों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अफसरशाही ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। अगर सरकार ने सभी मांगें न मानी तो वे मानसून सत्र के दौरान हिमाचल विधानसभा का घेराव करेंगे। वहीं, हिमाचल किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप तंवर का कहना था कि सरकार किसान व बागवान विरोधी है। सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। इसकी शुरूआत आज कर दी है।