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Shimla: सरकार ने 24 जनवरी तक कृषि व बागवानी संगठनों से सुझाव मांगे, संयुक्त किसान-बगवान मंच ने याद दिलाए वादे

सुक्खू सरकार अब किसानों व बागवानों को राहत देने की तैयारी में जुट गई है। किसानों व बागवानों को राहत देने का रोडमैप तैयार करने से पहले सरकार ने 24 जनवरी तक कृषि व बागवानी संगठनों से सुझाव आमंत्रित किए हैं। सुझाव आमंत्रित करने के लिए बागवानी विभाग के निदेशक डा. आरके पुर्थी ने सभी उपनिदेशकों को आदेश जारी किए हैं।

कांग्रेस ने चुनाव में कृषि एवं बागवानी आयोग गठन का वादा लोगों से किया है। बागवान व किसान संगठनों के सुझाव बागवानी निदेशालय तक पूरे नाम, पते व टेलीफोन नंबर मांगे हैं। सुझाव मिलने के बाद बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी कृषि एवं बागवानी संघ के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करेंगे।

कृषि उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित

राज्य सरकार आगामी समय में कृषि एवं बागवानी आयोग का गठन करने की दिशा में आगे बढ़ेगी। इसमें किसानों और बागवानों को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। आयोग की सलाह पर हर श्रेणी के सेब के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाएगा। इससे कम दाम पर किसी को भी सेब खरीदने पर रोक रहेगी। यही नहीं आयोग हल्दी, काला जीरा व लहसुन सहित अन्य कृषि उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी निर्धारित करेगी।

वादों को याद दिलाया

हिमाचल प्रदेश संयुक्त किसान-बागवान मंच के सदस्य प्रशांत सेट्टा और आशुतोष चौहान ने कांग्रेस सरकार को चुनाव के समय किए गए वादों को याद दिलाया। उन्होंने कहा कि मंच ने किसान एवं बागवानों से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा की। प्रदेश सरकार से एपीएमसी एक्ट को लागू करने तथा कृषि एवं बागवानी आयोग गठित करने की मांग की है।

पूर्व सरकार ने एपीएमसी एक्ट को लागू नहीं किया

उन्होंने कहा कि आयोग में किसान एवं बागवानों को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रदेश में बिकने वाले कीटनाशकों एवं बीजों की भी सैंपलिंग लेने को कहा, ताकि यह पता चल सके कि यह सही है या नहीं। उन्होंने कहा कि पूर्व की किसी भी सरकार ने एपीएमसी एक्ट को लागू नहीं किया है, जिससे बागवानों को नुकसान हो रहा है।

 

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