मुख्यमंत्री सुखविंदर सुख्खू ने कहा कि हिमाचल सरकार ने साल 2025 तक प्रदेश को हरित राज्य घोषित करने का लक्ष्य रखा है। इसी कड़ी में सरकार प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग को बढ़ा दे रही है। जल्द ही प्रदेश परिवहन विभाग में पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों को इस्तेमाल शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए विभाग को वाहन खरीदकर उपलब्ध करवा दिए गए हैं। इतना ही नहीं सरकार ने आगामी एक साल के भीतर सभी सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने का लक्ष्य निर्धारित किया है। राज्य में अब जरूरत पड़ने पर ही डीजल वाहनों की खरीद की जाएगी। इसके लिए भी मुख्य सचिव स्तर पर सीमित मंजूरी प्रदान की जाएगी। यह बात सीएम ने विधायक प्राथमिकता बैठक के दूसरे दिन कांगड़ा के विधायकों से चर्चा के दौरान कही।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार कांगड़ा जिला को पर्यटन राजधानी के रूप में स्थापित करेगी। उन्होंने यहां पर्यटन सर्किट के लिए आधारभूत संरचना विकसित करने के दृष्टिगत पर्वतमाला व अन्य परियोजनाओं के माध्यम से प्राथमिकताएं देने का भी आग्रह किया। धर्मशाला, ज्वालामुखी, फतेहपुर तथा शाहपुर के विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों में पर्यटन विकास के लिए अपनी प्रमुखताएं भी गिनाईं। धर्मशाला में हिमानी चामुण्डा रोपवे, नड्डी में पर्यटन विकास, पौंग डैम में पर्यटन गतिविधियों के माध्यम से युवाओं को रोजगार से जोड़ने तथा एशियन विकास बैंक के माध्यम से ज्वालाजी मंदिर तथा नगर के सौन्दर्यकरण के लिए संबंधित विधायकों ने अपनी प्राथमिकताएं बताईं।
हिमाचल में सुख की सरकार समाज के प्रत्येक वर्ग का सहारा बनी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू लोगों की हर समस्या का निदान कर उसका समाधान सुनिश्चित कर रहे हैं। इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए सीएम सुक्खू ने अभी भी कोरोना महामारी का दंश झेल रहे सैकड़ों लोगों को बड़ी राहत प्रदान की है। मुख्यमंत्री ने कोरोना काल के दौरान लोगों पर दर्ज वे सभी मामले वापस लेने का निर्णय लिया है जो महामारी से जुड़े विभिन्न नियमों व दिशानिर्देशों की अवहेलनाओं के दृष्टिगत दायर किए गए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मानवीय संवेदनाओं के साथ करुणा भाव शासन का अभिन्न अंग है। कोरोना महामारी से त्रस्त बहुत से लोगों पर नियमों के उल्लंघन के मामले दर्ज किए गए थे। कुछ लोग रोजगार की तलाश में भटक रहे थे तो कुछ परिवार के लिए राशन व दवाई का इंतजाम करने के लिए बाजार का रुख कर रहे थे। महामारी ने सभी को मजबूर कर दिया था। सामाजिक व पारिवारिक सरोकारों के निर्वहन में आपराधिक प्रवृत्ति नहीं होती। कोरोना काल में जिन लोगों ने विभिन्न नियमों व दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया वे साधारण लोग थे। उनके क्रियाकलापों में आपराधिक प्रवृत्ति का बोध नहीं था।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि ऐसे लोगों को राहत प्रदान करने के लिए ही प्रदेश सरकार ने कोरोना दिशा-निर्देशों की अवहेलना के लिए दर्ज मामले तुरंत प्रभाव से वापस लेने का निर्णय लिया है। इससे इन लोगों को मानसिक तनाव से भी मुक्ति मिलेगी और वह अपने कार्य और ऊर्जा व दक्षता से करने में सक्षम होंगे। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार का यह फैसला राजनीतिक नहीं, बल्कि उनका दायित्व होने के साथ-साथ मानवीय सरोकार भी है।