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Himachal Politics: हिमाचल प्रदेश की राजनीति में रिवाज बदलने का भाजपाई दावा और कांग्रेस के कपड़े

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के चार कार्यकारी अध्यक्षों में से एक रहे पवन काजल और एक अन्य कांग्रेस विधायक लखविंद्र राणा अंतत: भाजपा में आ गए। मंगलवार देर सायं उन्हें पद से हटा दिया गया ताकि भाजपा यह न कह सके कि वह कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष को ले उड़ी। बुधवार को जब दोनों भाजपा में शामिल हो गए तो कांग्रेस की अनुशासन समिति ने दोनों को छह वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। इसे संगठन की नियमावली कहें या सांप गुजरने के बाद लकीर पीटना, जो पार्टी ही छोड़ गए, उन्हें छह वर्ष के लिए निष्कासित किया गया। छह वर्ष संभवत: इसलिए कि शायद उसके बाद की संभावनाएं जीवित रहें।

भाजपा को विश्वास है कि कांग्रेस को ऐसे कई पत्र और लिखने पड़ेंगे, क्योंकि आने वाले दिनों में कई और कांग्रेस पदाधिकारी भाजपा में आ सकते हैं। तकनीकी रूप से देखें तो पवन काजल और लखविंद्र राणा की घर वापसी हुई है। दोनों भाजपा या उसके अन्य संगठनों में पदाधिकारी रहे हैं। जब अपने हित और पार्टी के हितों में टकराव हुआ तो दोनों कांग्रेस में चले गए थे। चुनावी वर्ष में यह भाजपा का कांग्रेस को बड़ा झटका है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और भाजपा का दावा है कि इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में जनता रिवाज बदलेगी। यानी प्रदेश में भाजपा पुन: सरकार बनाएगी। अपवाद अपनी जगह, किंतु हर सरकार को सत्ता विरोधी गुस्से का भय होता ही है। जनता से अधिक कोई नहीं जानता कि किसे शासन सौंपना है। इसके बावजूद यदि कोई ऐसा दावा कर रहा है तो उसका एक कारण राज्य के प्रतिपक्ष कांग्रेस की कारगुजारी भी है। मंत्रियों के प्रति क्रोध या क्षोभ है या नहीं, विधायकों के प्रति नाराजगी कितनी है, कितनी सीटों पर भाजपा चेहरे बदलेगी, यह सब बाद की बात है, किंतु कांग्रेस इस समय अपने आप से सशंकित रहते हुए भाजपा को लाभ देती प्रतीत हो रही है।

कांग्रेस की शंका के प्रमाण अनेक हैं। बीते दिनों नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री को भी यह कहना पड़ा कि यदि टिकटों के बंटवारे में कुछ लूटपाट हुई तो वह कांग्रेस की राजनीति से संन्यास ले लेंगे। एक चिट्ठी आई है कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला की। लिखा है, सब नेता अलग-अलग जनसभाएं न करें, एक साथ रहें। ऐसा क्यों कहना पड़ा? क्योंकि सबकी ‘अपनी डफली अपना राग’ है। आब्जर्वर भूपेश बघेल और उनके साथी प्रताप सिंह बाजवा के आने पर सभी नेताओं को शिमला बुलाया गया। कांगड़ा से जुड़े एक नेता रास्ते में थे। उन्हें शिमला से फोन आया कि आप सीधे राज्य अतिथिगृह आइएगा.. यहां कमरे की व्यवस्था है, आप वहीं कपड़े बदल कर बैठक में आ जाओ। इन नेता ने कहा, ‘यदि पार्टी का यही हाल रहा तो कपड़े क्या, नेतागण हमारी खाल भी उतार लेंगे।’ उन्होंने ऐसा क्यों कहा? इसके कुछ कारण इसी बैठक में दिख गए।

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