नासा भले ही अब तक अपने Artemis-1 मिशन को लान्च कर वो न कर पाया हो जो वो करना चाह रहा था, लेकिन 26 सितंबर 2022 को वो एक इतिहास जरूर रच देगा। 26 सिंतबर पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों और खगोल विज्ञान में दिलचस्पी रखने वालों के लिए अहम होने वाला है। इसी दिन नासा का Double Asteroid Redirection Test यानी डार्ट मिशन होगा। ये मिशन अपने आप में बेहद दिलचस्प है। इस मिशन के तहत नासा धरती की तरफ बढ़ रहे एक उल्का पिंड से अपने यान को टकरा (Asteroid)कर उसकी दिशा बदलने की कोशिश करने वाला है। यदि वो इसमें सफल रहा तो ये अंतरिक्ष विज्ञान में एक बड़ी उपलब्धि होगी।
धरती से काफी दूरी पर है एस्ट्रायड
ये एस्ट्रायड धरती से करीब कई करोड़ किमी दूर है। जिस यान को नासा इस एस्ट्रायड से टकराने वाला है वो करीब 26 अरब रुपये की लागत से बनाया गया है। इस यान को खासतौर पर इससे टकराने के लिए ही डिजाइन किया गया है। नासा और विश्व का ये अपनी तरह का पहला मिशन है। इस मिशन में यदि नासा को सफलता हासिल होती है तो भविष्य में धरती की तरफ आने वाले विशाल एस्ट्रायड का रास्ता बदलने में मदद मिल सकेगी।
किस समय होगी ये टक्कर
नासा के यान की ये टक्कर शाम 7.14 बजे (भारतीय समयानुसार मंगलवार सुबह 4.44 बजे) होगी। इस मिशन के लिए ये यान करीब दस माह पहले लान्च किया गया था। ये एक छोटी कार जितना बड़ा है। नासा के मुताबिक इस एस्ट्रायड के धरती से टकराने की आशंका न के ही बराबर है। टक्कर के दौरान इटली की सैटेलाइट इसकी तस्वीरें खींचेगा और नासा को उपलब्ध कराएगा। ये इस डार्ट के पीछे ही है। टक्कर के दौरान एस्ट्रायड धरती से करीब 1.1 करोड़ किलोमीटर दूर होगा।
एस्ट्रायड बैल्ट में चक्कर लगाते हैं लाखों एस्ट्रायड
आपको बता दें कि ये एस्ट्रायड धरती से करीब 50 करोड़ किमी की दूरी पर स्थित है। इसमें विभिन्न आकार के एस्ट्रायड हर वक्त चक्कर लगाते रहते हैं। ये एस्ट्रायड बैल्ट जूपिटर और मंगल ग्रह के बीच में स्थित हैं। इस बैल्ट में चक्कर लगाते समय कुछ एस्ट्रायड आपसी टक्कर से इस बैल्ट से बाहर निकल जाते हैं। ब्रह्मांड का चक्कर लगाते हुए कई बार ये धरती के वातावरण में प्रवेश कर जाते हैं। इसके बाद ये एक बड़े आग के गोले की तरह धरती पर गिरते हैं। इनसे निकलने वाली ऊर्जा और आवाज काफी तेज होती है। धरती पर कई जगहों पर इस तरह के एस्ट्रायड कई बार गिर चुके हैं। इनसे जान-माल की हानि का डर बना रहता है। ऐसे में नासा का डार्ट मिशन धरती पर होने वाली इस तबाही को रोक सकेगा।
एस्ट्रायड का मार्ग बदलने की है कवायद
DART मिशन से वैज्ञानिकों को ये जानने में मदद मिल सकेगी कि क्या धरती की तरफ आते किसी एस्ट्रायड का मार्ग बदला जा सकता है या नहीं। इसके अलाव वैज्ञानिक ये भी जान सकेंगे कि इस तरह के मिशन से एस्ट्रायड पर किस तरह की प्रतिक्रिया होगी। अब तक इस तरह की कहानी फिक्शन मूवीज का हिस्सा बनती रही हैं। लेकिन पहली बार ये कहानी सच होने वाली है। जिस एस्ट्रायड से नासा का डार्ट मिशन टकराने वाला है उसका नाम डाईमारफोस है। इसको खगोलीय भाषा में Moonlet या नन्हा चांद भी कहा जाता है। ये एस्ट्रायड धरती के करीब चक्कर लगा रहा है। इसका व्यास करीब 160 मीटर है।